रायपुर, 25 अप्रैल
हर साल आखातीज पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन मुस्तैद हो गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने अक्षय तृतीया पर प्रदेश में बाल विवाह होने की संभावनाओं को देखते हुए बाल विवाह की रोकथाम के कड़े दिशा निर्देश जारी किये हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने छत्तीसगढ़ में पिछले 4 वर्षों में करीब 1,377 बाल विवाह रोकने में सफलता पाई है। इस वर्ष भी महिला एवं बाल विकास विभाग ने समन्वित प्रयास और समाजिक सहयोग से बाल विवाह रोकने की तैयारी कर ली है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सभी जिला कलेक्टरों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकरी सहित विभागीय जिला अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी किये गए हैं।


निर्देश में बताया गया है कि बाल विवाह एक कानूनन अपराध है। बाल विवाह करने वाले वर एवं वधू के माता-पिता,सगे-संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को पटवारी,कोटवार, शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं ग्राम स्तरीय शासकीय अमले का सहयोग लेने को कहा गया है। प्रत्येक ग्राम या ग्राम पंचायत में विवाह पंजी संधारित कर क्षेत्र में होने वाले सभी विवाहों को पंजीबद्ध करने को कहा गया है। राजस्व विभाग के समन्वय से शतप्रतिशत विवाह पंजीयन सुनिश्चित करने कहा गया है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण,शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्युदर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि देखी गई है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी भी जरूरी है। इसके लिए विभिन्न प्रचार माध्यमों जैसे गांव में मुनादी,दीवार पर नारा लेखन, पम्पलेट्स, रैली, वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से जन जागरूगता का अभियान चलाया जाएगा । अभियान के माध्यम से लोगों को बाल विवाह के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जाएगा जिससे अधिक से अधिक लोग इस सामाजिक बुराई के रोकथाम में सहयोग करें। अधिकारियों ने बताया कि बाल विवाह की सूचना ग्राम सरपंच, पंचायत सचिव,ग्राम के शिक्षक,कोटवार,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से दी जा सकती है। इसमें किशोरी बालिकाओं और बालिका समूहों की अहम भूमिका हो सकती है।

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