नई दिल्ली, 9 सितंबर

8 नवंबर 2016  की रात 8 बजे राष्ट्र के नाम दिया गया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डराने वाला भाषण तो आपको याद ही होगा। जिसमें उन्होंने कहा था कि “आज रात 8 बजे से 500 और 1000 के करेंसी नोट रद्दी के टुकड़े बन गए हैं”। मोदी का इतना कहना भर था कि पूरे देश में खलबली मच गई थी। उसके बाद ऐसे कई मौके आए जब मोदी ने कुछ न कुछ कहकर जनता को या तो डरा दिया या चौंका दिया। डिजिटल इंडिया के नाम पर जीओ कंपनी का आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन कराकर फ्री में चार सिम लेने के लिए उमड़ा लोगों को हुजूम भी आपको याद होगा,,,और उसके बाद फ्री में जनधन खाता खुलवाने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइन आपने बैंकों के बाहर भी देखी होंगी। जनधन खातों में जमा पैसे पर लोग ब्याज का गुणाभाग करते उससे पहले ही जनधन खातों पर न्यूनतम बैलेंस की शर्त लगाकर आपने जनधन खातों को बंद कराने वालों की भी लंबी लाइनें बैंकों के बाहर देखी होंगी…ये कुछ ऐसे फैसले हैं जिनके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदियों तक याद किये जाएंगे। लेकिन मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में एक और ऐसा फैसला करने जा रही है जो लोगों को चौंकाऐगा।

मोदी सरकार ने फैसला किया है कि अब कोई भी जब खरीदारी करने जाएगा तो दुकानदार ग्राहक से उसकी आमदनी का जरिया पूछेगा। अब दुकानदार आपसे पूछेगा कि आप क्या काम करते हैं, कैसे कमाते हैं, कितना कमाते हैं। कैसे खर्च करते हैं, कितना खर्च करते हैं, आमदनी का और क्या-क्या श्रोत है। तो हैरान मत होएिऐगा। क्योंकि सरकार लोगों से खर्च और कमाई का पैटर्न पता करने के लिए ये नए तरीके का आर्थिक सर्वे करने जा रही है।

सिर्फ ग्राहक ही नहीं दुकानदारों को भी अपने कारोबार और मैन पावर के बारे में जानकारी देनी होगी। दुकानदारों को बताना होगा कि उनका कारोबार किस तरह का है। उनकी दुकान में कितने लोग काम करते हैं। काम करने वालों का रहन-सहन, खर्च करने और कमाई का तरीका कैसा औऱ कितना है। इस सर्वे में सरकार ने देशभर के करीब 7 करोड़ कारोबारियों को शामिल किया है और इसकी शुरुआत बिहार, त्रिपुरा, पुडुचेरी, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से होने जा रही है।

आर्थिक सर्वे में इस तरह की जानकारियां जुटाने के लिए मोदी सरकार दुकानदारों को एक एप देगी, इसी एप में ये सारी जानकारियां फीड की जाएंगी। अगले चार महीने में इस सर्वे के पूरा होने की उम्मीद है। लेकिन कोई ग्राहक या दुकानदार अपनी कमाई और खर्च की जानकारी अगर नहीं देना चाहे, तो उस पर क्या कार्रवाई होगी। इसे लेकर अभी कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश दुकानदारों को प्राप्त नहीं हुआ है। जाहिर है, इसे शुरु करने से पहले केन्द्र सरकार बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाए।

जानकारों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे मोदी सरकार का अपनी उस नाकामी को छिपाना है, जिसमें उन्होंने बाजार में 2 लाख करोड़ रुपये के कालेधन का चलन होने का जिक्र अपनी पहली सरकार बनने से पहले किया था। सरकार की तमाम तिकड़में कालाधन नहीं खोज पाईं। नोटबंदी में पूरे नोट भी जमा हो गए।लेकिन कालाधन नहीं मिला। उलटा हुआ ये कि न तो नकली नोटों का चलन बंद हुआ, न ही बड़ी करेंसी बंद हुई, 1000 की जगह 2000 का नोट हो गया। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में फैली अफवाह के चलते 2016 से आज तक कोई भी सब्जी वाला, ऑटो वाला 10 रुपये का सिक्का नहीं ले रहा है। अब दुकानदार भी कुछ अजीब से सवाल जब ग्राहकों से करेंगे तो जाहिर है ग्राहक चौंकेगा। इसे लेकर दुकानदारों और ग्राहकों के बीच तनाव और झगड़े होने की नौबत भी आ सकती है।

बड़े-बुजुर्गों ने कहा भी है कि “औरत से उसकी उम्र और आदमी से उसकी कमाई के बारे में नहीं पूछा करते” लेकिन मोदी सरकार नदी की धार के विपरीत चलने पर अड़ी है।

 

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