वह कौन हैं जिसे अपनी बात बताऊं
वह कौन है जिसे अपने साथ चलाऊं
वह कौन है जिससे रूठकर मनाऊं
वह कौन है जिसे हर बात में पकाऊं

आप कह सकते हैं मुझसे अपनी बात
कितने कठिन हों रास्ते चलूंगी साथ
चाहे कितने रूठ जाएं मुझसे, आप
संकल्प है मेरी, रहूंगी आपके साथ

धरती के उस पार से निहारोगी कैसे?
आकाशगंगा में दूर रहती आओगी कैसे?
रेडियो संदेश भी मिलता है बहुत देर से
बताओ, वादा करके निभाओगी कैसे?

धरती के इस पार हूँ तो क्या हुआ
आकाशगंगा की दूरी भी तो क्या हुआ
कोशिश करूंगी हर बार ऐसा….
मिलेंगे, मुझे ऐसा एक विश्वास हुआ

जो उस दुनिया की महारानी हैं आप
गुरुत्वाकर्षण की शक्तिकेंद्र हैं आप
एक पल छोड़ आओगी तो बिखर जाएंगी जिंदगियां
बताओ, फिर भी क्या मेरे अपने हैं आप

महारानी हूँ यह जानती हूं
शक्तिकेन्द्र हूँ यह भी भूली नही हूँ
मन में तो मेरा ही अधिकार है साथी
विश्वास का रिश्ता तुमसे ही निभाती हूँ

सोचो जरा, राज को कोई जानेगा तो क्या होगा?
ईश्वर भी तो अंदर ही है आपके भी रहने से क्या होगा?
तो क्या प्रत्यक्ष दर्शन और वार्ता नही होगी आपके साथ?
विश्वास करिए, धैर्य रखिए, हर कण में हूँ आपके साथ।

लेखक-

एच.पी. जोशी

छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा में पदस्थ हैँ।

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