रायपुर, राज्य के संस्कृति विभाग में संचार नाल में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर की नौकरी वैध है, या नहीं खुद उनके विभाग को पूजा नहीं  । इसका खुलासा हुआ है, सूचना के आधार पर विभाग के द्वारा दी गई जानकारी में। नियुक्ति आदेश पत्र को लेकर विभागीय उपलब्ध नहीं होने की वजह बताकर अपना पल्ला झाड़ते नज़र आ रहा है। जिससे मामले में संदेह गहराता रहा है।

हम आपको बता दें कि, राहुल सिंह जो कि उप-संचालक के पद पर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से वर्तमान में कार्यरत तो बताए जा रहा है, लेकिन 1984 के पहले नियुक्ति अस्थायी आदेश के अलावा कोई भी दस्तावेज विभाग के पास राहुल सिंह की नियुक्ति आदेश नहीं है। नहीं है। नहीं है। नहीं है नियुक्ति के बारे में कोई होने पर उनकी नियुक्ति अश्लीलता प्रतीत होती है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इतना हैरान करने वाला होने के बावजूद लगभग पैंतीस साल से राहुल सिंह आराम से विभाग की सेवा बड़ी ईमानदारी से कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक राहुल सिंह संचालनालय संस्कृति और मानव विभाग के बतौर उप संचालक के रूप में आने वाले साल में बरकरार रखा गया है।)

राहुल सिंह का पहला नियुक्ति आदेश 2987/3662 / सं। / तीस / 84 दिनांक 13 सितंबर 1984 से किए गए अस्थायी नियुक्ति आदेश 1872/3662 / सं। / तीस / दिनांक 30 जून 1987 से संबंधित दस्तावेज, अभिलेखों सत्यप्रतिलि की जब विभाग की मांग की गई तो उपसंचालक। राहुल सिंह के नियुक्ति संबंध में कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए थी। इसलिए उनके संबंध में अभी तक विभाग के पास जानकारी रद्द नहीं है।
इस मामले में आशीष देव सोनी इंटक के युवा नेता ने विभागीय मंत्री अमरजीत भगत से भी शिकायत की है।उन्होंने अपनी शिकायत में संचयनाय संस्कृति और मानव विभाग में उपसंचालक के पद पर पदस्थ राहुल सिंह की नियुक्ति को संदेहके दायरे में लाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की पूरी है जिनके प्रथम नियुक्ति 1984 के हवाले से अस्थायी नियुक्ति आदेश मांग की है, सूचना के अधिकार के तहत। दस्तावेज़ के आधार पर की प्राप्त उन्होंने अपने शिकायत पत्र में जानकारी दी है कि नियुक्ति का प्रस्ताव आखिर किस आधार पर पास हुआ।

लोक सेवा आयोग के बिना किस विशेष नियम कायदों से नियुक्त कर दिया गया जिसके संबंध में कोई भी दस्तावेज नहीं है, उक्त नियुक्ति पूर्णतय नीति आयोग, ढूंढा ठेठ दिख रही है नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने पर मामला पुख्ता होता दिख रहा है। इस प्रकार उपसंचालक राहुल सिंह की नियुक्ति के ऐसे कोई आदेश नहीं है ना ही तात्कालिक कैलकुलेटर में सिफारिश किया गया है। जब सरकार के सबसे प्रभावशाली के फैसले में सिफारिश नहीं होने से यह नियुक्ति फर्जी और कैंडिनेट दिख रही है।
इधर राहुल सिंह के दस्तावेज को लेकर विभागीय सचिव ने मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग को पत्र लिखकर इस बाबत दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।पूरे मामले पर जब राहुल सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरी नियुक्ति वैधानिक तरीके से हुई है, और मैं वैधानिक रूप से अपने पद पर पूरी निष्ठा से कार्यरत हूं, पेपराष्ट्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि विभाग के पास क्या है और क्या है। है। नहीं है, मुझे इस बाबत की जानकारी नहीं है लेकिन, मेरे पास अपनी नियुक्ति के प्रमाण मौजूद हैं और आवश्यकता पडने पर उसे ऐसा करना पड़ेगा।


हालांकि पूरे मामले पर विभागीय जिम्मेदार अधिकारी कोई भी कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि, वास्तव में राहुल सिंह के पास उनकी नियुक्ति के वैधानिक दस्तावेज मौजूद हैं, या वो भी महज एक शिगूफे से अधिक कुछ भी नहीं है।

देखना दिलचस्प होगा, जनता के खजाने पर बोझ डालने वाले इस तरह के उठ रहे सवालों को सरकार ने कितनी गंभीरता से लेती है।और जब सरकार इस मामले में राहुल सिंह के खिलाफ कथित तौर पर आरटीआई के दस्तावेजों के आधार पर अपनी कार्रवाई शुरू करती है। । , तब राहुल सिंह की नियुक्ति आदेश के सबूत सामने आ-पाते हैं, या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा होती है।

0Shares
loading...

By Admin

You missed