नई दिल्ली, 7 मार्च 2020
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सभी सरकारी अस्पतालों को डीएनए नमूने संरक्षित करने और दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में दंगों के दौरान मरने वाले सभी लोगों का पोस्टमार्टम कराने के आदेश दिए हैं। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस आईएस मेहता की खंडपीठ ने अस्पतालों को यह भी निर्देश दिया है कि वे अगले आदेश तक किसी भी अज्ञात शव का क्रियाकर्म न करें।
अदालत ने आदेश देते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार – दोनों के अधीन दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे शवगृहों में रखे सभी शवों के डीएनए नमूने एकत्र करें और उन्हें संरक्षित करें और इसके बाद वीडियोग्राफी पोस्टमार्टम करें. सरकारी अस्पतालों को आगे निर्देश दिया जाता है कि वे किसी भी अज्ञात शव का क्रियाकर्म अगली सुनवाई की तारीख तक न करें.’
इस मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी.
अदालत ने यह निर्देश उत्तर–पूर्वी दिल्ली के पुराना मुस्तफाबाद क्षेत्र के निवासी हमजा की ओर से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. हमज़ा दंगों के दौरान लापता हो गए थे.
जैसा कि अदालत के आदेश में दर्ज किया गया था, उसका शव भागीरथी विहार में एक नाले से बरामद किया गया और संबंधित पुलिस स्टेशन द्वारा अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की गई है.
मालूम हो कि बीते हफ्ते संशोधित नागरिकता कानून के विरोध के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैँ।
दिल्ली हिंसा में 654 केस दर्ज
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि हाल में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उसने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने अपना बयान जारी कर कहा कि 654 दर्ज मामलों में से 47 शस्त्र कानून से जुड़े हुए हैं। पुलिस ने कहा कि कुल 1820 लोगों को सांप्रदायिक दंगों के मामले में या तो हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इससे पहले, गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन को उस वक्त गिरफ्तार किया जब वह दिल्ली हिंसा में अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद सरेंडर के लिए दिल्ली कोर्ट पहुंचे थे। ताहिर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी कस्टडी में लिया।
कोर्ट ने कहा- वेबसाइट पर दें मृतकों की पूरी जानकारी
उधर, दिल्ली होईकोर्ट ने गुरुवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान सरकारी अस्पतालों के शवगृहों में लाए गए अज्ञात शवों के बारे में अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर पूरी जानकारी प्रकाशित करे। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया। उत्तरपूर्वी दिल्ली में हाल में हुए दंगों के बाद से लापता अपने एक रिश्तेदार के बारे में जानकारी को लेकर एक व्यक्ति ने यह याचिका दायर की थी।
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह लापता हमजा के बारे में पता लगाने के लिए ‘हर संभव प्रयास करें। अदालत में पुलिस का प्रतिनिधित्व दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराध) राहुल मेहरा और वकील चैतन्य गोसैन कर रहे थे। सुनवाई के दौरान मेहरा ने अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार याचिकाकर्ता अंसारी मोहम्मद आरिफ को उन सभी अस्पतालों के शवगृहों में जाने की सुविधा उपलब्ध कराएगी जहां दंगे के दौरान मारे गए लोगों के शव रखे गए हैं।