नई दिल्ली,

नीति आयोग की बैठक के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की, तो दोनों ने एक दूसरे को जीत की दिली मुबारकवाद दी। भूपेश ने जहां मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने की बधाई दी, तो नरेन्द्र मोदी ने भूपेश को 15 साल से जमी सत्ता को उखाड़ फेंककर 68 सीटों के साथ सरकार में आने के लिए बधाई दी। हालांकि मोदी की इस बधाई में भाजपा की प्रदेश चुनाव में हार होने का दर्द भी था। लेकिन वो करते भी तो क्या। नए मुख्यमंत्री को बधाई तो देनी ही थी। सो दी गई और फिर शुरु हुआ बातचीत का सिलसिला जिसमें पहल से तैयारी करके गए भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री के सामने छत्तीसगढ़ के 70 लाख आदिवासियों और 58 लाख गरीब परिवारों से जुड़े लंबित मामलों को जल्द निपटाने का आग्रह कर डाला।

प्रधानमंत्री आवास में हुई मोदी और भूपेश की ये मुलाकात हालांकि दूसरी बार हो रही थी, लेकिन पीएम के शपथ ग्रहण में भूपेश बघेल शामिल नहीं हो पाए थे, इसलिए बधाई अब दी गई।  भूपेश बघेल प्रधानमंत्री के सम्मान में चांपा में बनी कोसा की शॉल और पुष्पगुच्छ लेकर गए थे।

बघेल ने पीएम को बताया कि उनकी सरकार नया छत्तीसगढ़ गढ़ रही है। इसी कड़ी में  किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने किसानों से 2500 रू प्रति क्विटंल समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की हैं । इससे राज्य में अतिरिक्त धान का उपार्जन हुआ हैं । उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि किसानों के हित को देखते हुए सार्वजनिक प्रणाली की आवश्यकता के अतिरिक्त चावल को केन्द्रीय पूल में लेने की स्वीकृति प्रदान करे । राज्य के हर घर में नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्रदाय करने की योजना के संबंध में मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इसके लिए केन्द्र सरकार को शत्प्रतिशत अनुदान प्रदान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शत-प्रतिशत विद्युतीकरण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास हुए हैं उसी प्रकार हर घर में पेयजल की व्यवस्था के लिए भी प्रयासों की जरूरत है।

 

मुलाकात के दौरान वन अधिकारों की मान्यता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा कि भारतीय वन अधिनियम, 1927 में प्रस्तावित संशोधनों में अनेक खामियां हैं, जिससे वन क्षेत्रों में निवासरत आदिवासियों के हितों का संरक्षण नहीं किया गया है उन्होंने इसमें संशोधन पर जोर दिया हैं । श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा देश के लघु एवं सीमांत कृषकों को लाभांवित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आरंभ की गई है। इस योजना के हितग्राहियों में अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत् वन अधिकार प्राप्त किसानों को शामिल नहीं किया गया है, उन्होंने इस योजना अंतर्गत उक्त वन अधिकार प्राप्त किसानों को सम्मिलित करते हुए रू. 12,000 प्रतिवर्ष सम्मान निधि देने की मांग की।

बैठक में उज्जवला योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत रिफिल कराये गये सिलेंडर की संख्या कम हैं । उन्होंने कहा कि गरीब परिवारों के लिए एक मुश्त इतनी राशि देना संभव नहीं होने तथा दूरस्थ अंचलों में एल.पी.जी वितरकों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि न होना कम रिफिल का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि गरीबी की रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को खाना पकाने हेतु ईधन के रूप में केरोसिन की आवश्यकता होती है।

बहरहाल मोदीजी के साथ मुलाकात को सफल बताते हुए भूपेश बघेल ने बताया कि मुलाकात सफल रही है और, माननीय प्रधानमंत्री जी ने हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया है। भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ को लेकर अपनी प्राथमिकता दोहराते हुए भरोसा दिलाया है कि, राज्य सरकार को विकास के हर रचनात्मक कार्यों में पूरा सहयोग केंद्र सरकार की ओर से मिलता रहेगा।

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