रायपुर, 3 अक्टूबर 2019

गांधी ये सिर्फ किसी नाम की उपमा या विशेषण विशेष नहीं है बल्कि गांधी होना अपने आप में बहुत कुछ है। गांधीजी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी प्रासंगिक रहेगे। गांधीजी सर्वकालिक प्रासंगिक हैं। लेकिन हैरानी इस बात की है कि आज गांधीवादी दिखने की होड़ मची है जबकि वास्तविक रूप में गांधीवादी होना ही सही अर्थों में बापू को सच्ची श्रद्धांजलि है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी धनेली रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किया है।

रावतपुरा यूनिवर्सिटी में गांधीजी के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक और पंडित सुंदरलाल शर्मा शोध पीठ रायपुर के निवर्तमान अध्यक्ष प्रोफेसर बालचंद्र कछवाहा मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता समाजसेवी गौतम बंदोपाध्याय, विख्यात गांधीवादी विचारक एवं पर्यावरणविद राजा हैदर एवं राष्ट्रीय स्तर के शायर उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अंकुर अरुण कुलकर्णी ने की।

कार्यक्रम का शुभारंभ वाणी वंदन एवं गांधीजी के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ हुआ। विशिष्ट अतिथि राजा हैदरी ने गांधी जी के चिंतन पर बड़ी ही गंभीरतापूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने गांधीजी पर ग़ालिब की शायरी के माध्यम से गांधी जी की विशिष्टता पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि गौतम बंदोपाध्याय ने कहा कि आज गांधीवादी बनने की होड़ लगी है, जबकि वास्तविक रूप से गांधीवादी होना ही सच्ची बात है।

अतिथि की आसंदी से बोलते हुए प्रोफेसर बालचंद्र कछवाहा ने गीता के आलोक में गांधी विमर्श को आगे बढ़ाया। उनके अनुसार गांधीजी निर्मिक और बेबाक वक्ता थे। उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। गांधी जी को आज वैश्विक स्तर पर प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है। विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अंकुर अरुण कुलकर्णी ने गांधीजी की विनम्रता और कर्मठता पर प्रकाश डाला। अपने अध्यक्षता उद्बोधन में प्रोफ़ेसर कुलकर्णी ने गांधी जी की शिक्षाओं को जीवन में चरितार्थ करने की बात की।

विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर एके दुबे अकादमिक अधिष्ठता ने कहा कि गांधीजी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं और कल भी प्रासंगिक रहेंगे। कार्यक्रम में गांधीजी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिये..विश्व के 124 देशों के कलाकारों ने गाया है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों ने बड़े ही उत्साह से भाग लिया । इस कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉक्टर कप्तान सिंह अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने किया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों और गणमान्य लोगों का शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया।

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