नई दिल्ली, 29 नवंबर
मोबाइल के दम पर चुनाव जीत कर केन्द्र में सरकार बना चुकी नरेन्द्र मोदी सरकार ने डिजिटल भारत की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। इंटरनेट पर समाचारों की मॉनिटरिंग करने के लिए मोदी सरकार ने वेब न्यूज़ पोर्टल्स और न्यूज़ वेबसाइट्स के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए भारत सरकार का  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे पीआरबी एक्ट 1876 में संशोधन करने के लिए नया विधेयक लाने जा रहा है। इसका सीधा मतलब है कि प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह वेब पत्रकारिता को भारत सरकार आधिकारिक मान्यता देने जा रही है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध विधेयक के मसौदे के मुताबिक न्यूज़ पोर्टल्स, न्यूज़ वेबसाइट्स और डिजिटल न्यूज़ मीडिया में काम करने के लिए भारत सरकार के समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) के समक्ष अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
इस नए विधेयक का नाम  ”प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2019” रखा गया है। यह विधेयक पीआरबी एक्ट 1867 के कानून का स्थान लेगा।
नए विधेयक में प्रकाशकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के पूर्व के प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव है। साथ ही इसमें नव-सृजित प्रेस महापंजीयक के माध्यम से पंजीकरण की प्रक्रिया का कार्यान्वयन सरल करने का भी प्रस्ताव है। नए विधेयक के मसौदे में प्रकाशकों एवं मुद्रकों द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा करने एवं इसके प्रमाणीकरण की वर्तमान प्रक्रिया को भी हटाने का प्रस्ताव है।
मसौदा विधेयक के अनुसार, डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक में अपना पंजीकरण कराना होगा और आवश्यक ब्यौरे देने होंगे।
”विधेयक में डिजिटल मीडिया पर खबरों को ”इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित की जा सकने वाली डिजिटल स्वरूप की खबरों” के तौर पर परिभाषित किया गया है जिसमें मूल पाठ (टैक्स्ट), ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं।” सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह मसौदा विधेयक 25 नवंबर को जारी किया है और संबंधित पक्षों से इस पर अगले 30 दिन में प्रतिक्रियाएं मांगी हैं।

फिलहाल, डिजिटल मीडिया देश की किसी भी संस्था के साथ पंजीकृत नहीं ​है। ​​ हालांकि, पीआरबी अधिनियम, 1867 के पिछले संशोधनों का उपयोग पेड न्यूज से लेकर गंभीर मुद्दों को संबोधित करने या गैर-गंभीर प्रकाशनों पर जुर्माना लगाने के लिए किया जाता ​था। 25 नवंबर को सार्वजनिक किए गए इस मसौदा विधेयक पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी पक्षों से एक महीने के अंदर उनके सुझाव मांगे ​हैं। मसौदा विधेयक के अनुसार, सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि डिजिटल मीडिया पर समाचार के प्रकाशक आरएनआई के साथ खुद को पंजीकृत करेंगे​।​ ​मसौदा विधेयक में उन्हीं लोगों को प्रकाशन का अधिकार दिया गया है, जिन्हें आतंकवादी अधिनियम या गैरकानूनी गतिविधि से जुड़े अपराध या ‘राज्य की सुरक्षा के खिलाफ कुछ भी करने’ के लिए किसी भी अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहराया​ गया।

पीआरबी अधिनियम के विपरीत प्रिंट और ऑनलाइन समाचार प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए नए विधेयक में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह किया गया है कि प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार किसी स्थानीय अधिकारी के पास नहीं होगा​।

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