बिलासपुर,12 दिसंबर 2019।

छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2017 को निरस्त करने के भूपेश सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने जायज ठहराया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 25 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में कई खामियां थी, सरकार ने भर्ती परीक्षा निरस्त करके सही किया है।

राज्य में 29 दिसबंर 2017 को आरक्षक के 2,254 पदों के लिए 28 ज़िलों में विज्ञापन जारी किया था, जिसमें 3,83,320 आवेदन आए थे, इस भर्ती की शारीरिक परीक्षा 26 अप्रैल 2018 से 12 जून 2018 के बीच संपन्न हुई। परीक्षा में 61,511 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे।  31 सितंबर 2018 को लिखित परीक्षा हुई जिसमें 48,761 अभ्यर्थी पास हुए। परीक्षा के मॉडल आंसर भी जारी हो चुके थे। अब सिर्फ अभ्यर्थियों का इंटरव्यू किया जाना बाकी था। लेकिन अक्टूबर 2018 में राज्य में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई और साक्षात्कार प्रक्रिया रुक गई। 11 दिसंबर 2018 को राज्य में कांग्रेस की सरकार आ गई। सरकार ने आते ही ताबड़तोड़ लिये गए फैसलों के तहत आरक्षक भर्ती परीक्षा 2017 को धांधली परीक्षा मानते हुए निरस्त कर दिया।

27 सितंबर 2019 को जारी इस आदेश के ख़िलाफ़ 25 याचिकाएं दायर की गईं,जिनमें इस भर्ती निरस्ती के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था –

“भर्ती प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में थी, मॉडल आंसर जारी हो चुके थे.. ऐसे में यह कहना कि भर्ती प्रक्रिया में चुक हुई इसलिए भर्ती निरस्त.. इसके लिए अभ्यर्थी दोषी नहीं है।

राज्य की कोई भी प्रक्रिया विधिसम्मत ही चल सकती है, विधि विभाग ने सूचित किया था कि,विज्ञापन की कंडिका दस में जिस भर्ती प्रक्रिया का ज़िक्र है, वह तब नियम के रुप में लागू ही नहीं हुआ था.. इसलिए यह भर्ती विधि विरुद्ध है”

राज्य की ओर से दलील दी गई इस भर्ती प्रक्रिया में जो शारीरिक दक्षता के मानक बताए गए थे, वे नियम के रुप लागू ही नहीं किए गए थे लेकिन भर्ती प्रक्रिया में इसे शामिल किया गया और जबकि भर्ती का विज्ञापन छप गया उसके बाद नियम बनाया गया।इसलिए यह भर्ती गलत थी, यदि इसे स्वीकार किया जाता तो गलत और विधिविरुद्ध दृष्टांत स्थापित होता।
जस्टिस गौतम भादुड़ी ने राज्य की ओर से प्रस्तुत तर्क को मान्य करते हुए सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है।

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