मुंगेली, 15 अक्टूबर

मुंगेली जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद शव की सिलाई के लिए परिजनों से पैसे मांगने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जिसके बाद मुंगेली जिला अस्पताल के सिविल सर्जन की ओर से एक पत्र जारी कर सोशल मीडिया में वायरल वीडियो और खबर का खंडन किया गया है। सिविल सर्जन ने मीडिया को जारी एक पत्र में लिखा है कि 10 अक्टूबर को मुंगेली जिला चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम के बाद शव की सिलाई के लिए परिजनों से 1500 रुपये की मांग करने संबंधी सोशल मीडिया में वायरल वीडियो जिला चिकित्सालय की छवि धूमिल करने का प्रयास है। वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

सिविल सर्जन ने सोशल मीडिया में वायरल वीडियो को भले ही फर्जी करार दिया है, लेकिन जिला कलेक्टर ने इस घटना को सत्य मानते हुए सिविल सर्जन को रातों रात निलंबित कर दिया। जिला कलेक्टर ने सिविल सर्जन डॉ. आर. के. भुआर्य को हटाते हुए डॉ. कमलेश खैरवार को जिला अस्पताल के अधीक्षक का प्रभार सौंप दिया है।

गौरतलब है कि  स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मुंगेली जिले के प्रभारी मंत्री हैं। लेकिन उनके प्रभार वाले जिले के सरकारी अस्पताल में कर्मचारी ने पोस्टमॉर्टम के बाद शव की सिलाई करने के लिए परिजनों से 1500 रुपये की मांग की थी। पैसे नहीं देने पर कर्मचारी ने शव की सिलाई करने से इंकार कर दिया था। बाद में मृतक के परिजनों से अस्पताल कर्मी ने 500 रुपये की रिश्वत ली थी। यही वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था।

दशहरा के दिन रायपुर रोड पर नेवासपुर निवासी संतराम की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाने की वजह से शव अस्पताल की मॉर्चुरी में रखा हुआ था। शव की  शिनाख्त होने पर परिजन शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे।

 

 

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