रायपुर, ।अपने कारनामो की वजह से सुर्खियों में रहने वाला पीडब्लडी का एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। बस्तर के लिए 2011 में आयोजित विभागीय विशेष भर्ती अभियान में सुकमा जिले के लिए चयनित बाबू अपॉइंटमेंट के दिन से अधिकारियों की मेहरबानी से आजतक मुंगेली जिला मुख्यालय में पदस्थ है।
बस्तर में लोक निर्माण विभाग के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैनपावर की 40 से 60 %से 60 की तंगी है।लिहाजा कर्मचारियों की कमी का असर बस्तर के विकास कार्यों पर पड़ रहा है। यानि की क्षेत्रो में सड़क, पुल, पुलिया, और इमारतों के निर्माण कार्यो में भी गिरावट आ रही है। और निर्माण कार्य समवधि पूर्ण होने के बाद भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
बस्तर में लगातार बढ़ रहे नक्सलवाद को रोकने की मकसद से बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक में क्षेत्र के मूलभूत विकास को आधार बनाकर पुल, पुलिया, सड़क, शासकीय भवनों आदि का निर्माण प्राथमिकता के साथ
करने की कार्ययोजना तैयार की गई थी।इसके तहत 2011 में रमन सिंह सरकार ने लोक निर्माण विभाग में 25 फरवरी 2011 को आदेश क्र .39012178 / स्थापना / प्र.ए. / 11 के द्वारा विशेष भर्ती अभियान के तहत सहायक ग्रेड तीन के पद पर 35 लोगों की सीधी भर्ती कर उन्हें पदस्थापना बस्तर में स्थानीय स्तर पर की गई थी।
यह नियुक्ति(केवल बस्तर संभाग के लिए) विशेष भर्ती के तहत की गई थी। इनमें से एक हैं, रामनारायण साहू जो नियुक्ति का मूल जिला यानि सुकमा या तो जाना नहीं चाहते हैं, या फिर अधिकारियों का प्रेम उन्हें इनकी मूल तैनाती में भेजना नहीं चाहता है।
हैवीवेट है,रामनारायण साहू का जलवा
रामनारायण साहू का भले ही मूल पद सहायक ग्रेड-तीन का है, लेकिन, बतौर मेहरबानी साहूजी कार्यपालन अभियंता लोक परिवहन विभाग मुंगेली के कार्यालय में।
बतौर प्रभारी लेखापाल, बजट, स्थापना, ऑडिट सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से तैयार कर रहे हैं। और ग्रेड 3 का यह क्लर्क पिछले दरवाजे से यहां शासन के सेवा शर्तों को दरकिनार कर दमदारी के साथ मुंगेली संभाग में जमा हुआ है,इसका पूर्व में अपने तत्कालीन कार्यपालन अभियंता से भी कई दफा तू-तू मैं-मैं के रूप में बहस हुई, लेकिन उच्चपदस्थ अधिकारियों ने इसका स्थानांतरण का मामला न्यायालय में विचाराधीन बता कर सरकार को गुमराह कर इसका बचाव किया। इस क्लर्क को पुनः वर्तमान में कार्यपालन अभियंता कार्यालय के सबसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंप दिया गया है। और यह क्लर्क लोक शिक्षण विभाग मुंगेली के सालाना के करोड़ों के टेंडर वर्क जारी करने का संवेदनशील मामला को भी डील करता है।
दो साल पहले हुआ था, सुकमा ट्रांसफर, शासन को गुमराह कर रुकने में कामयाब र हा।
रामनारायण साहू की बस्तर संभाग अनिवार्य सेवा शर्तों को लेकर हुई शिकायतों की विभाग स्तर पर जांच-पड़ताल मे पुष्टि होने पर राज्य शासन द्वारा त्वरित संज्ञान में लेते हुए मंत्रालय ने 22.जुलाई 2017 को पुनः उक्त लिपिक
रामनारायण साहू को मूल पदस्थापना की जगह (सेवा शर्तों के अनुरूप) ठिकाने लगाने के लिए आदेश क्र। एफ -1 -1-09 / 19/2017 के मुताबिक त्रुटि सुधार कर कार्यपालन अभियंता, लोनिवि.लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग सुकमा के रूप में स्थानांतरित किया गया था।स्थानांतरण के बाद पूर्व कर तत्कालीन कार्यपालन अभियंता द्वारा वस्तुस्थिति को समझते हुए दो महीने के भीतर इस क्लर्क को 27.सितंबर.2017 को कार्यपालन अभियंता लोक सेवा विभाग के मुंगेली कार्यालय से कार्य मुक्त कर दिया गया था। बावजूद इसके लिपिक रामनारायण साहू द्वारा अपनी सेवा शर्तों के अनुसार सुकमा ज़ानिंग न करते हुए लंबे समय तक अवकाश पर रहने वाले सेवा-शर्तों को दरकिनार कर हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में मूँगेली जिले के लोरमी कार्यालय में हुए स्थानांतरण पर स्थगन आदेश का हवाला भ्रामक तरीके से सरकार और विभाग को गुमराह किया जाता है। बाद में यह नए पदस्थापना वाली जगह पर जाकर ड्यूटी जॉइन करने की जगह लम्बी छुट्टी पर चल गया। इस बीच
अवकाश के लंबे अंतराल का फायदा उठाकर इस क्लर्क ने विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर हाइकोर्ट के नाम पर सरकार को गुमराह करता रहा, और फिर एक दिन वह दोबारा से बिना किसी संशोधित आदेश के मुंगेली कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में जॉइन कर मलाईदार पद हथिया लिया। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता व वरिष्ठ स्थानीय अधिकारियों द्वारा कभी भी उक्त लिपिक रामनारायण साहू की वास्तविक स्थिति से ना ही शासन और ना ही माननीय उच्च न्यायालय को अवगत कराने की जिम्मेदारी निभाई गई।जिसका यह क्लर्क अपनी चालाकी से लगातार जिले में पदस्थ होकर PWD के करोड़ो रूपये के विभागीय कार्यो का बेबाकी से डील कर रहा है। हम अगर यह कहें कि बस्तर संभाग के लिए नियुक्त क्लर्क बड़ी चालाकी से शासन प्रशासन और माननीय न्यायालय इन सबकी आंख
में धूल झोक कर सहायक ग्रेड तीन का कर्मचारी रामनारायण साहू लंबे समय से कार्यपालन अभियंता कार्यालय लोकनिर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की उल्टी गंगा बहा रहा है। तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। विभाग के प्रमुख अभियंता कार्यालय से सरकारी बंगले तक- सीधी पहुंच का धौंस देने वाला सहायक ग्रेड 3 का कर्मचारी रामनारायण साहू हाईकोर्ट का नाम लेकर भी लोगो को डराता धमकाता रहता है।जबकि हम आपको बता दें कि पूर्व में एक दफा लोरमी स्थानांतरण के मामले मामले में अपूर्ण जानकारी देकर रामनारायण साहू ने कोर्ट से तत्कालीन स्थगन प्राप्त किया था। क्लर्क रामनारायण साहू की याचिका पर स्थगन के साथ ही याचिका निराकृत करते हुए कोर्ट ने सरकार को स्थानन्तरण पर भविष्य में किसी भी तरह का व्यवस्थागत निर्णय लेने की छूट भी प्रदान कर दी थी । इसके बावजूद क्लर्क कोर्ट के आदेश का हवाला देकर शासन प्रशासन को गुमराह करता रहा।
विशेष भर्ती प्रक्रिया की सेवाशर्तें क्या कहती हैं,
प्रधान अभियंता लोक सेवा विभाग रायपुर के द्वारा 25 फरवरी 2011 को आदेश क्र .39012178 / स्थापना / प्र.ए. / 11 के द्वारा अनिवार्य तो बस्तर संभाग के लिए सहायक ग्रेड 3 पर 35 लोगो को सीधा नियुक्ति की गई थी, जिन्हें नियुक्ति आदेश की शर्तों का कहना है कि दो साल की परिविक्षा अवधि पूरी करने के बाद नियमन आदेश जारी करने के निर्देश दिए गए। । थे, महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि सीधी भर्ती के नियुक्त सहायक ग्रेड तीन के इन सभी कर्मचारियों को केवल बस्तर संभाग में ही सेवा देने की शर्त अनिवार्य रूप से रखा गया था।सेवा शर्तों में इन कर्मचारियों की किन्हीं अन्य संभाग या जिले में सेवा की स्पष्ट मनाही की गई है।
ईएनसी ने मामले में उचित कार्रवाई का भरोसा किया,
रायपुर स्थित लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता (ENC) बीके. अग्रवाल ने बताया कि उन्हें हाल में ही इस प्रकरण की जानकारी हुई है, शासन के नियमानुसार क्लर्क के स्थानन्तरण कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सवाल उठता है कि, रामनारायण साहू की भर्ती अगर विशेष भर्ती प्रक्रिया के तहत की गई थी तो, उसको मुंगेली जिले में किस आधार पर पोस्टिंग दी गई। सेवा शर्तों के विपरीत रामनारायण साहू की नई पदस्थापना शासन विरुद्ध जाकर किस अधिकारी के निर्देश पर की गई। इतना ही नही नियम विरुद्ध पोस्टिंग पर तैनात क्लर्क का वेतन शासकीय धन का दुरुपयोग करने की श्रेणी में क्यों नहीं शामिल कर उस राशि की वसूली की प्रक्रिया शुरु की जाए। याचिका में तथ्य छुपाकर अदालत को गुमराह करने के मामले में भी क्लर्क साहू आपराधिक कृत्य का दोषी है।लिहाजा देखना होगा कि दमदार मलाईदार क्लर्क के खिलाफ विभाग खुद कार्रवाई करता है, अथवा हाईकोर्ट में रामनारायण साहू के खिलाफ किसी याचिका दायर का इंतजार करता है।
*बिलासपुर से मनीष कुमार शर्मा के साथ
…..कुमार संतोष सिंह *