बिलासपुर/ बच्चों, किशोरी, गर्भवती व धातृ महिलाओं के बौद्धिक और शारीरिक विकास के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई है बिलासपुर शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी कुछ केंद्रों की स्थिति को देख सरकारी मंशा पूरी होते नहीं दिख रही है। लोगों को इन केंद्रों से लाभ नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि अधिकांश केंद्र अपनी मनमर्जी से खुलता व बंद होता है। कहीं कार्यकर्ता उपस्थित रहती हैं तो कहीं कहीं सहायिका पद रिक्त लम्बे समय से है सहायिका, बच्चों की उपस्थिति दो अंकों तक भी नहीं पहुंचती है। लेकिन उपस्थिति पंजी में शत-प्रतिशत हाजिरी दिखाकर पोषाहार की राशि डकार ली जाती है। बिलासपुर क्षेत्र में कुछ आंगनबाड़ी केन्द्र ऐसे भी है जहां कार्यकर्ताओं द्वारा सुपरवाइजर को यूनियन लीडर होने के धौंस से मनमानी रवैया चलाया जा रहा है।
बिलासपुर कतियापारा सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 104 व 50 के निरीक्षण में हमारी टीम जानकारी लेना चाही तो 11 बजे भी ताला जड़ा ही मिला।आसपास लोगो का कहना रहा कि यह केंद्र खोलने बंद होने का कोई समय नही और न ही दोनों केंद्रों में सहायिका नियुक्त नही है। केंद्र में बच्चे मौजूद ही नहीं रहते है। इस प्रकार कुछ यूनियन लीडर होने के रुतबे एवं सुपरवाइजर को मनगढ़त रिपोर्ट से आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा है। जिसके बाद आलम यह रहता है कि आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता केंद्र से गायब ही रहती है और अक्सर ताला लगा रहता है।इस प्रकार बिलासपुर शहरी क्षेत्रों के कुछ आंगनबाड़ी केंद्र जहाँ सहायिका नही है और कार्यकर्ता यूनियन लीडर होने के चलते अपनी मनमानी चला रहे है विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को इन सब गतिविधियों की जानकारी हो ही नही पाती।