नई दिल्ली, 14 अगस्त

अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी देश को संबोधित करते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित बनाए जाने का फैसला स्थाई नहीं है। उन्होंने कहा था कि हालात सामान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। लेकिन विपक्ष आरोप लगा रहा है कि घाटी में हालात सामान्य नहीं है। एआईएमआईएम मुखिया ने इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने लगे हाथ कश्मीर की तुलना पूर्वोत्तर राज्यों से की। एक तरह से उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के संबंध में भड़काने वाला बयान दिया। सवाल ये है कि क्या किसी नेता, सांसद या पार्टी को भड़काऊ बोल की इजाजत दी जा सकती है। यह सवाल है कि जिसका हर किसी को इंतजार होगा। उससे पहले आप असदुद्दीन ओवैसी के बोल को पढ़िये।

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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर कश्मीर में शांति है तो 80 लाख लोगों को घरों में कैद करके क्यों रखा गया है। अगर लोग खुश हैं तो लोगों को सड़कों पर निकलने से क्यों रोका जा रहा है। वो कहते हैं कि मोदी सरकार को कश्मीर से तो प्यार है। लेकिन कश्मीरियों से मोहब्बत नहीं है। वो जानते हैं सरकार को वहां की जमीन से मोहब्बत है। लेकिन लोगों को उनकी बदहाली पर छोड़ दिया गया है।

मौजूदा सरकार ताकत का एहतराम करती हैं लेकिन न्याय शब्द इन लोगों के शब्दकोष से गायब है। वो किसी भी तरह से सत्ता में बने रहना चाहते हैं। लेकिन वो याद दिलाना चाहते हैं कति कोई सदा के लिए न तो जिंदा रहता है और न ही सत्ता किसी एक शख्स के पास हमेशा रहती है। तो वो ये भी बता देते कि पांडव और कौरव कौन हैं। क्या आप इस देश में एक और महाभारत चाहते हैं।

 

गुस्से से लबरेज ओवैसी कहते हैं कि जो लोग देशविरोधी हैं उन्हें वो देशद्रोही नजर आते हैं। लेकिन वो बताएं कि मोदी का विरोध करने से कोई शख्स देषद्रोही कैसे हो सकता है। कश्मीर में सभी आवाश्यक सेवाओं पर पाबंदी लगी हुई है और सरकार का कहना है कि हालात सामान्य है। वो दावे के साथ कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को असंवैधानिक तरीके से हटाया गया है।

असदुद्दीन ओवैसी से जब पूछा गया कि आप पाकिस्तान के हाथों में खेल रहे हैं। इस सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें यकीन है कि एक दिन उन्हें भी मार दिया जाएगा। उन्हें यकीन है कि गोडसे की जो औलाद हैं वो उन्हें मार सकते हैं। इस मुल्क में अभी भी गोडसे की औलाद हैं।

वो कहते हैं कि सांसद हैं लेकिन क्या वो अरुणाचल प्रदेश और लक्षद्वीप जा सकते हैं। वहां जाने के लिए परमिट लेना होता है। क्या वो असम के अधिसूचित इलाके में जमीन खरीद सकते हैं। वो नहीं खरीद सकते। वो नागालैंड, मिजोराम, मणिपुरस असम और हिमाचल प्रदेश की जनता को बताना चाहते हैं कि एक दिन उनके साथ भी वही कदम उठाए जाएंगे जो जम्मू-कश्मीर में हुआ है।

ओवैसी कहते हैं कि यह सरकार नगा अलगाववादियों से बातचीत कर रही है। लेकिन उन लोगों ने हथियार नहीं डाले हैं। जब एक बड़े नगा नेता का निधन हुआ तो जनाजे में तिरंगा के साथ उनका खुद का झंडा था। सरकार के लोग वहां गए थे क्या उन्हें वलो दो झंडे याद नहीं हैं। आखिर यह सरकार किसको मूर्ख बना रही है।

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