रायपुर,छत्तीसगढ़ के पुलिस मुख्यालय में बीते पांच वर्षो में जो हुआ, वैसा देश के किसी और पुलिस मुख्यालय में होना तो दूर, अफसरों ने सोचा तक नहीं होगा।आपको जानकार हैरत होगी कि पूर्व डीजीपी ए.एन.उपाध्याय के कार्यकाल में कुछ ख़ास पुलिस कर्मियों को उनकी खास उपलब्धियों पर नगद ईनामी रकम के अलावा हीरे-मोती के जेवर और सोने के बिस्किट भी प्रदान किये गए थे | वाकई यह चौकाने वाला मामला है | लेकिन है,पूरा चौबीस कैरेट का | या यू कहे की सोलह आने सच |
दरअसल EOW की ग्लैमरस हवलदार रेखा नायर ने आयकर विभाग को सौपे अपने आईटीआर मेंखुद ही इस बात का खुलासा किया है |उसने आईटीआर में समय समय पर छप्पड़ फाड़ कर मिली ईनामी रकम का हवाला दिया है | मामला यही तक सीमित नहीं है | उसने आईटीआर मे यह भी दर्शाया है कि उसके खातों में आयी नगद रकम समय समय पर लाखो का सोना बेच कर अर्जित की गयी है |
EOW ने अपनी तफ्तीश में पाया है कि रायपुर के ही एक बड़े आभूषण व्यापारी की दूकान में रेखा नायर ने सोने चांदी के रत्न जड़ित आभूषण बेचे है | लाखो की इस रकम का ब्योरा भी आयकर विवरणी में दर्शाया गया है | लेकिन ना तो उन आभूषणों की किस्म और भार का जिक्र ब्योरे में दर्ज है, और ना ही लेनदेन के कोई वैधानिक बिल | ब्लैकमनी को वाइटमनी में तब्दील करने के खेल में पारंगत इस आभूषण व्यापारी की दूकान रायपुर के सदर बाजार में स्थित है |
EOW की टीम ने इस दुकान में दबिश देकर आरोपी रेखानायर के सोना बेचे जाने के रिकार्ड और रजिस्टर में दर्ज एंट्री अपने कब्जे में ली है |
एक महत्वपूर्ण जानकारी के मुताबिक हवलदार रेखा नायर ने पूछतांछ में स्वीकार किया है कि खातों में आयी नगद रकम उसे EOW के तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता के कार्यकाल में उसकी ख़ास उपलब्धियों के लिए बतौर ईनामी रकम के रूप में दी गयी थी | जांच में यह भी पता पड़ा कि आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए सीक्रेट सर्विस फंड से अपनी अंतरंग रेखा नायर को लाखो की ईनामी रकम से नवाजा था। रेखा नायर ने यह भी दावा किया कि उसे पुलिस मुख्यालय से बतौर ईनाम चौबीस कैरट सोने के बिस्किट और रत्न जड़ित आभूषण तत्कालीन एडीजी ने सरकारी पुरस्कार में दिए थे | उसे बेच कर ही उसने आईटीआर में नगद मिली रकम की जानकारी दी है|
इधर अब आरोपी मुकेश गुप्ता के निर्देश के बाद रेखा नायर ने EOW के जांच अधिकारियों के सामने अपना मुँह बंद कर लिया है | पूछतांछ के दौरान वो ज्यादातर सवालों के जवाब में चुप्पी साध रही है | रेखा नायर ने बेचे गए सोने से मिली रकम का हवाला तो दिया है | लेकिन उसके पास इतना अधिक सोना आखिर आया कहाँ से ? उसके आय के श्रोत को लेकर लेटलतीफी और अब अपने बयान दर्ज कराने को लेकर असहयोग से जांच अधिकारी परेशान है |
बताया जाता है कि प्रारंभिक पूछतांछ के दौरान रेखा नायर ने सबसे पहले यही स्वीकार किया था कि उसे विभाग की ओर से ईनामी रकम के अलावा रत्न जड़ित आभूषण, और सोने के बिस्किट बतौर पुरस्कार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त हुए है |
मुकेश गुप्ता के इशारे पर थे डीजीपी, आरोप:-
छत्तीसगढ़ के तत्कालीन डीजीपी अमरनाथ उपाध्याय भी अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में है | यदि जल्द ही अथवा रिटायर होने के पूर्व उनके खिलाफ भी FIR दर्ज हो जाए तो कोई आश्चर्य का विषय नहीं होगा।
हाल ही में अदालत ने चिटफंड घोटाले में कई जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे | इसी तर्ज पर आरोपी निलंबित IPS मुकेशगुप्ता और उसके गिरोह की गैर क़ानूनी गतिविधियों को लेकर तत्कालीन डीजीपी ए एन उपाध्याय को भी सहभागी माना जा रहा है | लम्बे समय तक यह वर्दीधारी गिरोह गैर क़ानूनी गतिविधियों में लिप्त रहा और उसके बारे में पुख्ता जानकारी संज्ञान में होने के बावजूद तत्कालीन डीजीपी ने मौनव्रत धारण करे रखा | उन्होंने गैर क़ानूनी गतिविधियों के संचालन को लेकर कभी भी ना तो मुकेश गुप्ता और उसके गिरोह पर लगाम लगाईं और ना ही उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया | नतीजतन अवैध फोन टेपिंग और नान घोटाला जैसा सनसनीखेज मामला उजागर हुआ।
- जानकारी के मुताबिक तत्कालीन डीजीपी ए.एन. उपाध्याय के कार्यकाल में EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो में भ्रष्टाचार का जबरदस्त खेल चलता रहा | लेकिन उन्होंने यहाँ भी आखिर क्यों चुप्पी साध ली थी ? यह समझ से परे है | मैदानी इलाको में सालो से बसे कुपात्रों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन,पुलिस मैडल और राज्य अलंकरण के प्रकरण उनके द्वारा ही स्वीकृत किये जाते रहे | जबकि नक्सल प्रभावित इलाको में जनसेवा और देशभक्ति का नारा बुलंद करते हुए सैकड़ो जवान अपनी जान की बाजी लगाते रहे | ऐसे जवानो के साइटेशन और ओ.टी के मामले उन्ही की टेबल पर आखिर क्यों धूल खाते रहे | इन मामलो को लेकर उनसे भी पूछतांछ क्यों नहीं होनी चाहिए ? .लिहाजा अपनी गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को लेकर तत्कालीन डीजीपी ए.एन. उपाध्याय भी वैधानिक कार्यवाही के दायरे में है | फिलहाल राज्य सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है | जानकारी आ रही है कि पूर्व डीजीपी के खिलाफ भी FIR दर्ज करने को लेकर विचार विमर्श जारी है | Pic@google.