रायपुर, 8 मई 2019

‘मालविका सुब्बा’ का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है, बल्कि गूगल में मालविका सुब्बा सर्च करने पर पूरा प्रोफाइल आंखों के सामने आ जाता है। मालविका सिर्फ 21 साल की थी जब उनके सिर पर ‘मिस नेपाल’ का ताज सजा था। ये वर्ष 2002 था, इसके बाद मालविका ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा….हंसमुख, मिलनसार और हरदम मदद के लिए तैयार रहने वाली मालविका सुब्बा अपने व्यक्तित्व से जितनी सुंदर हैं, असल जिंदगी में दिल से भी उतनी ही सुंदर हैं।

स्कूल-कॉलेज के दिनों में मालविका का मन भी ड्रामा, स्टेज, डांस, एक्टिंग ये सब करने के लिए मचला करता था, लेकिन इस बात की उम्मीद कतई नहीं थी कि वो मिस नेपाल का खिताब भी जीत सकती हैं।

वर्ष 2002 में मालविका सुब्बा ने जब मिस नेपाल का ब्यूटी खिताब जीता तब वो नेपाल के स्थानीय कांतिपुर टीवी न्यूज़ चैनल में बतौर जर्नलिस्ट काम कर रहीं थीं।  लेकिन मिस नेपाल बनने के बाद भी मालविका का पत्रकारिता के पेशे से मोहभंग नहीं हुआ…मालविका का चूंकि नेपाल से दिल्ली आना-जाना लगा रहता था,, इसी दौरान वर्ष 2008 में नोएडा से लॉंच हुए एक लाइफस्टाइल चैनल वॉयस ऑफ इंडिया मिलिनेयर में मालविका सुब्बा को बतौर एंकर, रिपोर्टर, प्रोड्यूसर नौकरी मिल गई, लेकिन कुछ समय बाद ही जब से चैनल बंद हो गया, तो मालविका  ने शांगरिला हाउसिंग के लिए बतौर मार्केटिंग मैनेजर नौकरी ज्वॉइन कर ली.. वर्ष 2011 में मालविका नेपाल से निकलने वाली लाइफस्टाइल मैग्जीन की चीफ एडिटर बन गईं…बाद के वर्षों में मालविका सुब्बा शादी के बंधन में बंध गईं…और आज वो एक मां, पत्नी, गृहिणी के साथ-साथ सफल पत्रकार के रूप में अपना जीवन जी रही हैं।

मालविका का जीवन जितना आसान दिखता है,,उतना सरल कभी रहा नहीं..बल्कि रोजी रोटी के लिए संघर्ष करने से लेकर दिल्ली जैसे शहर में अपनी अलग पहचान बनाए रखने की चुनौती मालविका सुब्बा के सामने हर वक्त रही। लेकिन मुश्किल वक्त में भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया, और अपने हंसमुख स्वभाव के चलते हर परेशानी को हंस कर झेल लिया.

..मालविका सुब्बा ने अपने जीवन में पाईं सफलता और उतार-चढ़ाव भरे रहे ग्राफ की पूरी कहानी…this is my diary नामक यू ट्यूब चैनल पर शेयर की है।

 

मालविका सुब्बा का जीवन उन तमाम कामकाजी और करियर को लेकर परेशान महिलाओं के लिए नज़ीर है कि मुश्किल हालातों में भी घबराये बिना, हार माने बिना, जो मिले, जैसा मिले उसे स्वीकार कर आगे बढ़ते जाने का नाम ही ज़िंदगी है।

 

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