रायपुर, बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड मामले में आज डॉक्टर पुनीत गुप्ता विशेष जांच समिति के सामने पेश हुए .यहां वे अपने वकील दिवाकर सिन्हा और पिता जीबी गुप्ता के साथ एसआईटी दफ्तर पहुंचे थे. करीब एक घंटे तक एसआईटी दफ्तर में उनसे पूछताछ की गई. पुनीत गुप्ता ने भी वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया. एसआईटी ऑफिस से बाहर निकले पुनीत गुप्ता ने हाईकोर्ट में मामला होने का हवाला देकर मीडिया से कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

बेबस और लाचार दिखी मुख्यमंत्री द्वारा प्राप्त निर्देश पर गठित की गई पुलिस की एसआईटी.

डॉ. पुनीत गुप्ता के वकील दिवाकर सिन्हा ने कहा कि हाईकोर्ट में हमने केस लगाया है जो एसआईटी बनाई गई है उसे चैलेंज किया है.जब एसआईटी को ही चैलेंज किया है तो वॉइस सैंपल देने का सवाल ही नहीं उठता. हमने आज एप्लीकेशन बस दिया है.

पुनीत गुप्ता के वॉइस सैंपल देने से इनकार के बाद एसआईटी चीफ अभिषेक माहेश्वरी ने कहा कि पुनीत गुप्ता को वॉइस सैंपल के लिए बुलाया गया था उन्होंने वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया. हम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. न्यायालय में आवेदन लगाकर न्यायालय के माध्यम से उनका वॉइस सैंपल लिया जाएगा. कोर्ट ने कहीं भी एसआईटी को विवेचना करने से मना नहीं किया है और यह इन्वेस्टिगेशन का पार्ट है. किसी का भी वॉइस सैंपल लेने से पहले उनकी सहमति होनी होती है अगर सहमति नहीं दी जाती है तो न्यायालय के माध्यम से वॉइस सैंपल लिया जाता है. फिलहाल यह मामला मुख्यमंत्री की दिलचस्पी के चलते भूपेश बघेल वर्सेस रमन पुनीत गुप्ता की शक्ल अख्तियार करता जा रहा है।

हम आपको बता दें कि  सोमवार 24 जून को मंतूराम पवार भी एसआईटी के सामने पेश हुए थे. हालांकि उन्होंने भी वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया था. मंतूराम ने अफसरों को कोर्ट का आदेश दिखाने की बात कही थी और एसआईटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे. वहीं अंतागढ़ टेपकांड मामले में 25 जून मंगलवार को अमित जोगी को एसआईटी ने वॉइस सैंपल के लिए बुलाया था लेकिन उन्होंने भी वॉइस सैंपल देने से इंकार करते हुए कार्यकर्ताओं के साथ जमकर नारेबाजी की थी.

गौरतलब है कि अंतागढ़ टेपकांड मामले में किरणमई नायक की शिकायत पर पंडरी थाने में मंतूराम पवार, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी, डॉ. पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. IPC 1860 की धारा 406, 420 171-ई, 171-एफ, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 9 और 13 के तहत भी मामला दर्ज है.

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