नई दिल्ली,
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने अपने उस संकल्प को सिद्ध करने की नींव रख दी है, जिसमें वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस मुक्त भारत करने का नारा दिया था। ये बात इसलिये उठी है क्योंकि एक तरफ जब राज्यसभा में गृहमंत्री की हैसियत से अमित शाह जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव पेश कर रहे थे, तब कई क्षेत्रीय दलों ने उसका समर्थन किया। इस दौरान कांग्रेस सदन में काफी कमजोर नजर आई, लेकिन शाम होते-होते पार्टी आपस में बंटी हुई भी दिखाई दी।
हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा, महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा और सीनियर कांग्रेसी लीडर जनार्दन द्विवेदी ने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है। दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया कि 21वीं सदी में इसकी कोई जगह ही नहीं है। हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने अपना यह ट्वीट हटा लिया। अपने इस ट्वीट के साथ उन्होंने एक अखबार की पुरानी खबर भी ट्वीट की थी, जिसमें उनके हवाले से 370 हटाने की वकालत की गई थी। जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि इस फैसले के साथ देश ने पुरानी गलती सुधारी है।
दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया था, ‘मेरी व्यतिगत राय रही है कि 21वी सदी में अनुच्छेद 370 का औचित्य नहीं है और इसको हटना चाहिए। ऐसा सिर्फ देश की अखंडता के लिए ही नही, बल्कि जम्मू-कश्मीर जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, के हित में भी है। अब सरकार की यह जिम्मेदारी है की इस का क्रियान्वयन शांति व विश्वास के वातावरण में हो।’ हुड्डा के अलावा पार्टी के सीनियर लीडर और सोनिया के करीबी कहे जाने वाले जनार्दन द्विवेदी ने 370 हटाने को राष्ट्रीय संतोष करार दिया तो राहुल गांधी के विश्वस्त माने जाने वाले मिलिंद देवड़ा ने भी संकेतों में इसका समर्थन किया।
मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा कि दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर की बहस में उलझाया जा रहा है। पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए। उनके अलावा जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया भी इसके समर्थन थे। द्विवेदी ने कहा, ‘मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे। हम लोग छात्र आंदोलन में इसका विरोध किया करते थे। जहां तक मेरा व्यक्तिगत विचार है तो उसके हिसाब से यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है।’
Very unfortunate that Article 370 is being converted into a liberal vs conservative debate.
Parties should put aside ideological fixations & debate what’s best for India’s sovereignty & federalism, peace in J&K, jobs for Kashmiri youth & justice for Kashmiri Pandits.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) August 5, 2019