नई दिल्ली, 9 नवंबर 19
अयोध्या की विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पहलुओं पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान का दावा बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह वैकल्पिक जमीन दिये जाने का आदेश दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अलॉट करने का आदेश दिया है। रामलला विराजमान मंदिर निर्माण कर सकता है। मंदिर निर्माण के लिए सरकार ट्रस्ट बनाए और योजना तैयार करे। ये आदेश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 3 महीने के भीतर मंदिर निर्माण की योजना बनाने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अंग्रेजों के वक्त नमाज पढ़े जाने के सबूत नहीं मिले हैं। 18वीं सदी तक भी नमाज का कोई सबूत नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू सीता रसोई में पूजा करते थे। दिसंबर 1949 तक शुक्रवार को नमाज होती थी, 1985 से हिंदू बाहरी चबूतरे पर पूजा करते थे। नमाज औऱ पूजा साथ-साथ होती रही। रेलिंग लगाना संघर्ष और विवाद को रोकने के किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया है। निर्मोही अखाड़े का दावा भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। पक्षकार गोपाल विशारद को पूजा करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।