रायपुर,
बेंगलुरू की एक वित्तीय फर्म IMA (आई मोनेटरी एडवाइजरी) पर करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद इस्लामिक बैंक सुर्खियों में छाया हुआ है। आखिर इस्लामिक बैंक होते क्या हैं, ये कैसे काम करते हैं और इनकी शुरुआत भारत में कब हुई, कहां-कहां इस्लामिक बैंक संचालित हो रहे हैँ। आरबीआई और भारत सरकार का इस्लामिक बैंकिंग पर क्या नियंत्रण हैं, इस्लामिक बैंक पर लागू होने वाले नियम क्या अन्य सरकारी और निजी बैंकों से कितना अलग हैं। इस्लामिक बैंकिंग के ग्राहक कौन लोग होते हैं, ऐसे ढेरों सवाल हैं, जिनके जवाब लोग जानना चाहते हैं, तो वेब रिपोर्टर आपके लिए लेकर आया है इस्लामिक बैंकिंग से जुड़ी तमाम जानकारी, जो आपके सामान्य ज्ञान में बढ़ोत्तरी करेगी और आप किसी धोखे में फंसने से बच पाएंगे।
क्या होती है इस्लामिक बैंक ?
इस्लामिक बैंकिंग, समान्य बैंकिंग व्यवस्था से अलग एक ऐसी बैंकिंग प्रणाली होती है, जिसमें ब्याज लेना और देना दोनों ही शरीयत के खिलाफ माने जाते हैं। इस्लाम में सूदखोरी को “हराम” माना जाता है। इस्लामिक बैंक के ग्राहकों को पैसा जमा करने पर ब्याज़ नहीं मिलता है। इसी तरह कर्ज़ दिए जाने पर बैंक भी ब्याज़ नहीं वसूलता। अगर खाते में जमा हुए पैसे से बैंक को फायदा हुआ तो वो तोहफे के तौर पर कुछ ना कुछ देता है। इस्लामिक बैंक इस्लाम को मानने वालों के लिए बनाए गए हैं। इसमें शरिया के नियम लागू होते हैं। बहुत सारे मुसलमान सामान्य बैंकों से खुद को दूर रखते रहे हैं क्योंकि इसकी प्रणाली में सूदखोरी अहम हिस्सा है। ऐसे में धर्मनिष्ठ मुस्लिमों को बैंकिंग से जोड़ने के लिए इस्लामिक बैंक और हलाल इन्वेस्टमेंट फर्म्स स्थापित की गईं।
कहां से हुई इस्लामिक बैंक खुलने की शुरुआत ?
दुनिया के 75 देशों में 350 इस्लामी वित्तीय संस्थान संचालित हैं। पाकिस्तान से इस्लामिक बैंक खोलने की शुरूआत हुई। 1963 में मिस्र ने इसे पहली बार खोला लेकिन 1968 में सरकार ने इसे बंद कर दिया। फिर 1972 में इसकी शुरूआत हुई और ये चल पड़ा। विश्व में सबसे पहला इस्लामिक बैंक 1974 में मिश्र में खोला गया था । भारत में पहला इस्लामिक बैंक कोच्चि में खुला था जिसमे राज्य की हिस्सेदारी 11% है।
कैसे काम करती है इस्लामिक बैंक
इस्लामिक बैंकिंग में बैंक फंड्स के ट्रस्ट्री (रुपये की देखभाल करने वाले) की भूमिका निभाता है। बैंक में लोग पैसे जमा करते हैं और जब चाहें वहां से निकाल सकते हैं। यहां बचत खाता पर ब्याज कमाने की अनुमति नहीं है, लेकिन जब बैंक आपके पैसे से कुछ लाभ कमाती है तो वह इस लाभ का कुछ हिस्सा खाताधारक को भी गिफ्ट के रूप में दे देती है । यह प्रश्न उठाना लाजिमी है कि जो बैंक न ब्याज लेता है, न देता है, तो वह अपने कर्मचारियों को वेतन कहां से देता है और उसके अन्य खर्चे कहां से पूरे होते हैं ?
दरअसल इस्लामिक बैंक ‘पिछले दरवाजे’ से कमाई करते हैं। उल्लेखनीय है कि इस्लामिक बैंक अपने यहां जमा धन से मुख्य रूप से अचल सम्पत्ति खरीदते हैं जैसे; मकान, दुकान, घर बनाने वाले भूखंडों आदि। इस्लामिक मॉर्टगेज ट्रांजैक्शन में बैंक सामान खरीदने के लिए खरीदार को कर्ज नहीं देते बल्कि बैंक खुद ही बेचने वाले से वह सामान खरीद लेता है और उसे खरीदार के पास लाभ के साथ बेच देता है। इसके लिए बैंक खरीदार को किश्तों (EMIs) में पेमेंट करने को कहता है।
बैंक को निवेश से जो मुनाफा होता है उसे ग्राहकों के बीच बांटा जाता है और बैंक के अन्य खर्चे पूरे किये जाते हैं। साथ ही यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि यदि बैंक को घाटा होता है तो ग्राहक को भी इसमें हानि उठानी पड़ती है ।
उदाहरण: अगर कोई घर खरीदने के लिए किसी इस्लामिक बैंक के पास ऋण अर्जी लगाता है तो उसे पैसा नहीं दिया जाता है, बल्कि घर ही खरीदकर दिया जाता है। मान लीजिए उस घर का वर्तमान मूल्य 20 लाख रु. है, तो वह किश्त इस तरह बांधता है कि 15-20 साल में उस ग्राहक से उसे 30-32 लाख रु. मिल जाते हैं।
इस्लामिक बैंकिंग के अंतर्गत इस तरह के खाते खोले जा सकते हैं…
• सेविंग अकाउंट
• इन्वेस्टमेंट अकाउंट
• जक़ात अकाउंट
मुधाराबाह (प्रॉफिट शेयरिंग): मुधाराबाह दो पार्टियों (निवेशक और उद्यमी) के बीच प्रॉफिट शेयरिंग के तहत किया गया एक करार होता है। इस्लामिक बैंकिंग के अंतर्गत निवेशक बिजनेस वेंचर के लिए उद्यमों को पैसा देता है और इस पर मिलने वाला रिटर्न लाभ पर आधारित होता है। इस पर आनुपातिक हिस्सेदारी के बारे में पहले ही सहमति बना ली जाती है। यह दो तरह से काम करता है, पहला जब बैंक उद्यमी की भूमिका में होता है और कस्टमर पूंजी उपलब्ध करवाने वाला होता है। वहीं दूसरी तरफ जब बैंक पूंजी उपलब्ध करवाता है तब बैंक ग्राहक उद्यमी की भूमिका में होता है।
मुशरकाह (ज्वाइंट वेंचर): मुशरकाह लाभ बनाने के लिए साझेदारी या संयुक्त व्यापार उद्यम का उल्लेख करता है। इसमें सभी सहयोगी एक व्यावसायिक गतिविधि करने के लिए पूंजी का योगदान करते हैं। इसके सभी साझेदार प्रॉफिट को पहले से तय अनुपात में बांट लेते हैं। जबकि नुकसान में भी अंशदान के हिसाब से साझेदारी करनी पड़ती है।
बाई बिथा मन अजिल (अस्थगित भुगतान पैमाना): यह पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की ही तरह आसान मासिक किस्त (ईएमआई) योजनाओं की तरह काम करती है। ग्राहक इस पैसे का इस्तेमाल पर्याप्त मूल्य की संपत्ति खरीद में कर सकते हैं, जिसके जरिए वो भविष्य में नकदी प्राप्त कर सकें। इस समझौते में, ग्राहक को संपत्ति मिलती है और उसे किश्तों में सहमति के अनुसार भुगतान करना पड़ता है।
कर्द (ब्याज रहित लोन): इस समझौते के तहत किसी भी रिटर्न या मुनाफे की उम्मीद किए बिना एक जरूरतमंद व्यक्ति को ऋण दिया जाता है। इस सूरत में उधार लेने वाले व्यक्ति को सिर्फ मूल धन ही चुकाना होता है, हालांकि अगर कर्जदार चाहे तो वो अपनी स्वेच्छा से बैंक को कुछ अतिरिक्त पैसों की अदायगी कर सकता है।
हिबाह (उपहार): हिबाह लाभ प्राप्त करने के बदले में स्वेच्छा से किए गए भुगतान का उल्लेख करता है। बैंक आमतौर पर लाभ के लिए ऐसा करते हैं, जिसे ग्राहकों के बचत खाते से प्राप्त किया जाता है। हालांकि ब्याज शामिल होने के कारण इसकी गारंटी नहीं दी जा सकता है।
इस्लामिक बैंक अपना पैसा कहां निवेश करते हैं?
इस्लामिक कानून के तहत पैसे कमाने के तीन ही साधन हैं- खेती, शिकार और खनन। फिक्स्ड इनकम और ब्याज देने वाली सिक्यॉरिटीज, मसलन बॉन्ड्स, डिबेंचर्स आदि की इस्लाम में अनुमति नहीं है। हालांकि, इस्लामिक कानून में ‘सुकूक’ की अवधारणा है जो बॉन्ड के रूप में शरिया आधारित फाइनैंशल प्रॉडक्ट है। इसके अलावा ये बैंक, मकान, दुकान, घर बनाने वाले भूखंडों आदि पर निवेश करते हैं ।
भारत में इस्लामिक बैंकिंग की वर्तमान स्थिति:
भारत में पहला इस्लामिक बैंक कोच्चि में खुला था जिसमे राज्य की हिस्सेदारी 11% है। जेद्दा के इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक (आईडीबी) की शाखा प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में खुलेगी । यह बैंक प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी ज़फ़र सरेशवाला के नेतृत्व में खुल रहा है। इस्लामिक बैंकिंग कई देशों में प्रचलित है और स्टैंडर्ड चार्टर्ड और हॉन्गकॉन्ग ऐंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन अपने पंरपरागत बैंकिंग ऑपरेशन के साथ इस्लामिक बैंकिंग को भी चला रहे हैं।
बेंगलुरु में इस्लामिक बैंक के नाम पर कैसे हुई धोखाधड़ी ?
मोहम्मद मंसूर खान ने आई मोनेटरी अडवाइजरी (IMA) का गठन किया था। उसने आईएमए में निवेश करने वाले 23,000 से ज्यादा लोगों को धोखा दिया और बीते 8 जून को देश छोड़कर फरार हो गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अपने खिलाफ पहली शिकायत दर्ज होने से एक दिन पहले ही उसने देश छोड़ दिया। अब मोहम्मद मंसूर खान के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हुआ है।
मोहम्मद मंसूर खान के खिलाफ पहली शिकायत 9 जून को दर्ज हुई लेकिन इसके 24 घंटे पहले एक ऑडियो क्लिप सामने आई जिसमें खान ने कथित रूप से यह दावा किया कि वह आत्महत्या करने के करीब पहुंच चुका है। उसका यह संदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इस वायरल संदेश के बाद हजारों लोगों के साथ हुए इतने बड़े घोटाले से पर्दा उठा। इसके बाद निवेशक अपनी शिकायतें लेकर कॉमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन पहुंचने लगे। पुलिस का कहना है तब तक बहुत देर हो चुकी थी, खान फरार हो चुका था।
हार्ट अटैक से निवेशक की मौत !
आईएमए ग्रुप में निवेश करने वाले एक 54 साल के व्यक्ति की गुरुवार को मौत हो गई। मैसूर रोड के ओल्ड गुड्डलाहल्ली के रहने वाले अब्दुल पाशा ने आईएमए में आठ लाख रुपए का निवेश किया था। पाशा को लो बीपी और सूगर की शिकायत थी। उसकी तीन बेटियां और एक बेटा है। उसने जुलाई में अपनी बेटी की शादी एवं आईएमए के घोटाले के बारे में चर्चा करते हुए सीने में दर्द की शिकायत की। बाद में पाशा की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
एजेंसियों के सतर्क होने पर तनाव में आ गया था खान
‘अकेले रहने वाला खान शनिवार शाम करीब 6.40 बजे इमिग्रेशन से गुजरा 8.45 बजे दुबई के लिए फ्लाइट पकड़ ली।’ ‘खान के सहयोगियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियां कुछ समय से राज्य की एजेंसियों के साथ संपर्क में थी जिसे लेकर वह काफी तनाव में आ गया था। उसके सहयोगियों ने पूछा कि खान एवं उसकी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। शनिवार को देश से भागने के लिए वह अपनी पसंदीदा कार जगुआर से एयरपोर्ट पहुंचा था।’
जगुआर और रेंज रोवर कारें जब्त
खान के निजामुद्दीन अजीमुद्दीन स्थित शिवाजीनगर आवास से जगुआर और रेंज रोवर कारें जब्त हुई हैं। पुलिस ने आईएमए के सात निदेशकों में से एक को गिरफ्तार किया है। गत नौ जून को खान के बिजनेस पार्टनर एवं दोस्त मोहम्मद खालिद अहमद ने खान पर 4.8 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। यह शिकायत निवेशकों के बीच तेजी के साथ फैली और वे घबराहट में आ गए। हालांकि, खान की कंपनी पर निवेशकों का संदेह इस साल मार्च के महीने में होना शुरू हो गया था जब उसने लोगों को ब्याज देना बंद कर दिया।
अपने लिए बिजनेस क्लास की सीट कराई थी बुक
पुलिस सूत्रों ने बताया, ‘वह एयरबस के जरिए अकेले दुबई भाग गया। यात्रियों की सूची से पता चला है कि उसने अपने लिए बिजनेस क्लास की सीट बुक कराई थी। हमें संदेह है कि उसने अपने परिवार के सदस्यों को पहले ही दुबई भेज दिया।’ सूत्रों का कहना है कि खान अक्सर दुबई और खाड़ी देशों की यात्रा करता था लेकिन इस साल उसकी यात्राएं काफी बढ़ गई थीं। गुरुवार शाम तक खान के खिलाफ करीब 23,000 शिकायतें मिल चुकी हैं। उसकी आईएमए द्वारा 1500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। सूत्रों को कहना है कि सभी शिकायतों को खालिद अहमद की शिकायत के साथ जोड़ा गया है।
एसआईटी करेगी जांच
इतने बड़े घोटाले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी के अधिकारियों ने गुरुवार को शिवाजीनगर में आईएमए कार्यालय को अपने कब्जे में लेकर उसके सभी लॉकर्स एवं सेफ्टी चेस्ट्स सील कर दिए। पुलिस का कहना है, ‘ऐसी रिपोर्टें हैं कि गत छह जून को खान अपने ऑफिस से बाहर आता हुआ दिखाई दिया। इस दौरान उसके हाथ में एक बैग भी देखा गया।’