रायपुर, 25 अप्रैल
प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन इस बात के लिए भी पहचाना जाता है कि मलेरिया के नियंत्रण हेतु किस प्रकार के वैश्विक प्रयास किए जा रहे हैं। मच्छरों के कारण फैलने वाली मलेरिया बीमारी से हर साल कई लाख लोग जान गवां देते हैं। ‘प्रोटोजुअन प्लाज्‍मोडियम’ नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलता है। पूरे विश्व की 3.3 अरब जनसंख्या में लगभग 106 से देश हैं जिनमें मलेरिया का खतरा है। मलेरिया की वजह से सबसे ज्यादा अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी देश प्रभावित हैं। मध्य पूर्व तथा यूरोप के कुछ इलाके भी मलेरिया पीड़ित हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई 2007 में 60वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान मलेरिया दिवस 25 अप्रैल को मनाने की घोषणा की थी।
भारत में भी मलेरिया से बहुत मौतें होती हैँ। राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के अनुसार, भारत में 2016 के दौरान मलेरिया के 1,090,724 मामले दर्ज किये गए और इससे 331 मौतें हुईं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इस बीमारी से मरने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।

इधर अफ्रीकी देश मलावा में 24 अप्रैल को 30 साल की मेहनत और रिसर्च के बाद दुनिया का पहला मलेरिया वैक्सीन लॉंच किया गया है। यह पांच महीने से लेकर 2 साल तक के बच्चों के लिए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, यह वैक्सीन बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए शुरु किए गए।

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