नई दिल्ली,
देश में छाई मंदी और गिरती औद्योगिक ग्रोथ रेट के बीच टेलीकॉम सेक्टर को ग्रहण लग गया है। लेकिन इस ग्रहण का असर ग्राहकों पर सबसे ज्यादा पड़ने वाला है। 1 दिसंबर से वोडाफोन-आइडिया कंपनी मोबाइल सेवा के बदले चार्जेज बढ़ाने जा रही है। बताया जा रहा है कि कॉलिंग और डेटा दोनों के लिए एयरटेल, वोडा-आइडिया कंपनी अपने ग्राहकों से पहले से ज्यादा चार्ज वसूलेगी।
मोबाइल सर्विसेज की कॉस्ट बढ़ाए जाने की पीछे कंपनी पर छाये कर्ज को वजह बताया जा रहा है। वित्तीय संकट के समय वोडाफोन की हालत सबसे ज्यादा खराब है। हालांकि कंपनी का दावा है कि वो अपने ग्राहकों को वर्ल्ड क्लास डिजिटल एक्सपीरियंस की सुविधाएं देना जारी रखेगी। लेकिन कॉलिंग टैरिफ और डेटा टैरिफ में कितने रुपयों की बढ़ोत्तरी होगी, इस बारे में कंपनी ने अभी कोई खुलासा नहीं किया है। इस वक्त भारत में वोडाफोन आइडिया के लगभग 30 करोड़ ग्राहक है।
वोडाफोन आइडिया के बाद एयरटेल ने भी दिसंबर से अपनी सेवाओं के दाम बढ़ाने का एलान किया है. एयरटेल ने बयान में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के साथ काफी पूंजी की आवश्यकता होती है. इसमें लगातार निवेश की जरूरत होती है. इस कारण यह बहुत जरूरी है कि डिजिटल इंडिया के विचार का समर्थन करने के लिए उद्योग को व्यवहारिक बनाए रखा जाए. इस देखते हुए एयरटेल दिसंबर महीने में उचित दाम बढ़ाएगी.
वोडा-आइडिया कंपनी को वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 50,921 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड घाटा हुआ है। यह किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा एक तिमाही में दर्ज किया गया अभी तक का सर्वाधिक घाटा है। घाटे के पीछे वजह सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह वोडाफोन आइडिया समेत अन्य टेलिकॉम कंपनियों को बकाया दूरसंचार विभाग को चुकाने का आदेश दिया है। वोडाफोन आइडिया का कहना है कि इस आदेश के बाद अब कंपनी की बिजनेस जारी रखने की क्षमता सरकार द्वारा राहत पैकेज दिए जाने और कंपनी के पास मौजूद कानूनी विकल्प के सकारात्मक रिजल्ट पर निर्भर करेगी। वोडाफोन आइडिया पर लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और इन पर पेनल्टी व ब्याज मिलाकर 33010 अरब का अनुमानित बकाया है.
भारतीय एयरटेल ने सितंबर तिमाही में 23044 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है. कंपनी ने बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यु के लिए 28,450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हालांकि टेलिकॉम पर छाये संकट के बादलों को छांटने के लिए कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता वाली हाई लेवल कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज (CoS) उपाय खोजने में जुटी है।