भोपाल, कर्नाटक के नाटक का मध्यप्रदेश में पर्दा गिरा। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने की कोशिशों के बीच भाजपा को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को हुई विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बीच कमलनाथ सरकार को 122 वोट मिले हैं, जो बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है। भाजपा को दो वोट कम मिले। कमलनाथ सरकार ने बहुमत साबित कर लिया है। भाजपा के साथ खड़े दो विधायकों ने भाजपा का दामन छोड़ दिया है।


मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को मॉब लीचिंग को रोकने के लिए दंड विधि संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान बसपा के विधायक संजीव सिंह ने वोट विभाजन की मांग रखी। इस दौरान पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस हुई। इस पर मत विभाजन नहीं हुआ।

मतविभाजन में कमलनाथ सरकार गई और उसे 122 वोट मिले। इसके अलावा भाजपा को 109 वोटों से एक वोट कम ही मिल पाया। दो विधायकों ने क्रास वोटिंग की, जिसमें मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल शामिल हैं। त्रिपाठी ने कहा कि कमलनाथ सरकार अच्छा काम कर रही है। विधायकों ने अपने घर वापसी के संकेत भी दे दिए हैं। दोनों की विधायक कभी कांग्रेस में थे।

भाजपा के सपने चकनाचूर: –

मंगलवार को कर्नाटक में कांग्रेस गठबंधन सरकार के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गिरने के बाद मध्यप्रदेश भाजपा में भी उत्साह देखा जा रहा था, पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कैबीनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने तो सार्वजनिक तौर पर यहां तक ​​कह दिया था कि “केंद्रीय नेतृत्व के नंबर” एक “और नंबर” दो “के नेता इशारा भर कर दें, बस उसके बाद हम कमलनाथ सरकार को  24 घंटे के भीतर गिरा देंगे। गौ सेवा के नाम पर प्रदेश में बढ़ती जा रही मॉब-लिंचिंग को रोकने कमलनाथ कैलकुलेटर ने बुधवार को सदन में बिल लाया था, उस वक्त ऐसा लगने भी लगा था कि शायद कर्नाटक के नाटक मध्यप्रदेश में भी खेला जा सकता है।

भाजपा को ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए कमलनाथ इस मामले में भाजपा की पूरी टीम पर भारी पड़ गए। उन्होंने भाजपा के ही दो विधायकों को तोड़ कर क्रॉस-वोटिंग करवा पाने में कामयाबी हासिल करते हुए, न केवल बिल पास करवाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि, उन्हें राजनीति में बिना खिलाडी समझने की भूल एमपी भाजपा कर रही है।

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