रायपुर, 20 नवंबर

पुलिस और नरमदिल वो भी कवि ह्रदय ! आश्चर्य होना लाजमी है। खाकी और पुलिस का नाम ही खौफ और रौब से जुड़ी हुई हैं लेकिन क्या खाकी पहनने वाला कोई पुलिसवाला कवि भी हो सकता है। नरम दिल भी हो सकता है। ऐसा आमतौर पर कम ही सुनने को मिलता है, लेकिन ये सच्चाई है कि हर सिक्के के जैसे दो पहलू होते हैं वैसे ही हर पेशे में काम करने वाले लोगों में अच्छे और बुरे, सख्त और नरम स्वभाव के व्यक्ति भी होते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं हुलेश्वर प्रसाद जोशी जिनको आप शॉर्ट में एचपी जोशी कह सकते हैं।

ये जनाब हैं तो छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में प्रधान आरक्षक। फिलहाल रायपुर स्थित ईओडब्ल्यू स्थित एसीबी ऑफिस में तैनात हैं। लेकिन पढ़ने-पढ़ाने के  शौकीन एचपी जोशी साहब को कविताएं लिखने का भी शौक है। स्नात्कोत्तर, पीजीडीसीए के बाद ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा लेने के लिये प्रयासरत प्रधान आरक्षक एचपी जोशी ने ठेठ छत्तीसगढ़ी में लिखी एक कविता हमें भेजी है।

कविता पढ़ने में जितनी अच्छी है उतना ही अच्छा उसका भाव है। बिना कांट-छांट के जोशी साहब की लिखी छत्तीसगढ़ी कविता वेबरिपोर्टर के पाठकों के लिए हूबहू प्रस्तुत की जा रही है। कविता पसंद आए तो आप एचपी जोशी साहब को कमेंट बॉक्स में जाकर बधाई दे सकते हैं, अथवा आप वेब रिपोर्ट के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/webreporter.co.in 

पर जाकर कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

“ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव
उबड़ खाबड़ नहीं, पक्का रसदा तोला धरावत हंव

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव।
चना के पेड़ बनाके, तोला नई चढ़ावत हंव।।
गुरतुर बोली बतरस म, तोला नई फसांवत हंव।
मानले संगी मोर बात ल, सत् धरम के रस्ता ल बतावत हव।।1।।

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव।
आगी खाए ल घलो संगी, तोला नई सिखावत हंव।।
‘‘मनखे मनखे एक समान’’ भेद ल बतवात हंव।
‘‘जम्मो जीव हे भाई बरोबर’’ गियान अइसने सिखावत हंव।।2।।

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव।
‘‘शिक्षा ग्रहण पहिलि’’ करे बर मनावत हंव।।
गंजा दारू छोडव संगी, शाकाहार बनावत हंव।
बैर भाव म कांहि नइहे, मया के बात सिखावत हंव।।3।।

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव।
एक घांव मोर संग चलव संगी, अइसे गोहरावत हंव।।
आडम्बर, अमानुषता अउ भेदभाव ल मनखे ले मिटावत हंव।
गौतम बुद्ध, गुरूनानक अउ पेरियार संग, दोसती करावत हंव।।4।।

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव।
कबीर दोहा के संग ओशो घलो के बिचार ल समझावत हंव।।
भगवान बिरसा मुण्डा जइसे लडे ल सिखावत हंव।
“भारत के संविधान सच्चा धरम” ऐहि बात बतावत हंव।।5।।

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हंव
उबड़ खाबड़ नहीं, पक्का रसदा तोला धरावत हंव

रचना:
एचपी जोशी
नवा रायपुर, अटल नगर
छत्तीसगढ़

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