रायपुर,
छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में पूरी तरह से लोकसभा सीटें गंवाने पर कांग्रेस के खिलाफ मुखर हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर आज पीसीसी की तरफ से पलटवार किया गया है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह अपने गिरेबान में झांकें। शैलेष त्रिवेदी ने कहा कि रमन राज में आर्थिक बदहाली के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हुए किसान आज तुलना कर रहे हैं कि वही राज्य है, वही संसाधन है, कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शपथ लेने के 3 घंटे के अंदर किसानों का कर्जा माफ कर सकते है। सरकार बनने के तुरंत बाद किसानों का धान 2500 रू. प्रति क्विंटल में खरीद सकते है, किसानों का सिंचाई कर्ज माफ कर सकते हैं, बिजली बिल आधा कर सकते है, तो यह काम भाजपा की रमन सिंह सरकार ने क्यों नहीं किया था?
शैलेष नितिन ने कहा कि यह फर्क है नीयत है। कांग्रेस सरकार की नीयत राज्य की अधिसंख्यक आबादी को आर्थिक समृद्ध करने की है। इसीलिये उसकी प्राथमिकता में किसान और गरीब हैं। रमन सिंह की प्राथमिकता में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार था, इस कारण उनकी सरकार ने जो निर्णय लिये, जो योजनायें बनाईं वो चंद लोगों को उपकृत करने के लिये बनाई गयी थी। रमन सिंह बड़बोलापन करने के बजाय अपने गिरेबान में झांके, पांच महीने पहले ही राज्य की जनता ने उन्हें बुरी तरह नकारा है। 15 साल सरकार चलाने के बाद रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा को जनता ने 15 सीटों पर पहुंचा दिया है।
प्रदेश कांग्रेस के शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि हार-जीत लोकतंत्र में होती है। लेकिन डॉ. रमन सिंह को भूपेश बघेल की चुनावी यात्रा से बौखलाना नहीं चाहिये। बड़ा अजीब है। एक भूतपूर्व सीएम, वर्तमान सीएम की सक्रियता से बेचैन क्यों है? यह पूरे छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़वासियों के लिये सम्मान की बात है कि छत्तीसगढ़ के सीएम को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने दूसरे प्रदेश में जाकर चुनावी प्रचार करने के लिये कहा।
इससे छत्तीसगढ़ का गौरव और स्वाभिमान बढ़ा है। यह भी रमन सिंह को सहन नहीं हो रहा है? यदि भूपेश बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार के लिये भेजा था तो यह कांग्रेस नेतृत्व का भूपेश बघेल के प्रति विश्वास है।
रमन सिंह तो भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है, इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व उनको उपयोगी नहीं मानता तो यह उनकी कमजोरी है। भाजपा की जीत के बाद भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता सहित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, मोदी, शाह के साथ मंच पर मौजूद थे लेकिन रमन सिंह नदारद थे,
संभवतः भाजपा नेतृत्व रमन सिंह जी को इस लायक नहीं समझता है। रमन सिंह भूल रहे है कि लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने जनसरोकार के मुद्दों को दफना कर राष्ट्रवाद के नाम पर लड़ा है। रोजगार, गरीबी, किसान, युवा, विकास जैसे मुद्दे तो पूरे चुनाव के दौरान भाजपा के एजेंडे से गायब थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चुनौती 60 दिन बनाम 60 महीने को स्वीकारने का भाजपा साहस ही नहीं जुटा पायी। रमन सिंह बतायें कितनी सभाओं में उन्होने नोटबंदी, जीएसटी, 2 करोड़ रोजगार, कालाधन के मुद्दों के आधार पर भाजपा के लिये वोट मांगा। पाकिस्तान जैसे कमजोर और विपन्न राष्ट्र का हौव्वा खड़ा कर देश के सामने राष्ट्रवाद की दुहाई देकर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव भले ही जीत गयी हो लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग रमन सिंह और उनकी सरकार के वायदा खिलाफी, भ्रष्टाचार और कुशासन को अभी तक भूले नहीं है।