पटना,

बिहार के मुजफ्फरपुर और मोतिहारी में चमकी बुख़ार से मरने वाले बच्चों की संख्या 129 हो गई है।  अकेले मुजफ़्फ़रपुर में 101 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस सब के बीच बच्चों की मौत के गलत आंकड़े पेश करने पर बिहार की सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। जिस पर मुजफ्फरपुर की सीजीएम कोर्ट में 24 जून को सुनवाई होगी। अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल और बच्चों की लगातार हो रही मौतों को लेकर केस दायर किया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने SKMCH अस्पताल का किया दौरा 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को सरकारी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा करने के बाद कहा,  कि “बीमारी की पहचान करने के लिए शोध होना चाहिए, जिसकी अभी भी पहचान नहीं है और इसके लिए मुजफ्फरपुर में शोध की सुविधा विकसित की जानी चाहिए.”

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ हर्षवर्धन ने राज्य के स्वामित्व वाले श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया. हर्षवर्धन ने कहा कि बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र की सभी शाखाओं को मिलकर काम करना चाहिए.

उन्होंने कहा, “हमें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. प्रभावित क्षेत्रों के सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना चाहिए और लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.”

‘हर संभव सहायता देगी केंद्र सरकार’
हर्षवर्धन ने स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार को एईएस के प्रकोप के बाद स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर रही है. उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार स्थिति को नियंत्रित करने उचित उपचार प्रदान करने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए राज्य को वित्तीय मदद के साथ सभी संभव सहायता प्रदान करेगी.”

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “यह स्तब्ध करने वाला व कष्टदायक है कि बच्चे मर रहे हैं. मैंने माता-पिता के दुख व दर्द को महसूस किया है. बीमारी को नियंत्रित करने व रोक लगाने के लिए एक समय सीमा का निर्णय लिया गया है.”

उन्होंने कहा, “मैंने एईएस प्रकोप पर चिकित्सकों व स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा की है और व्यापक समीक्षा की है और उन्हें निर्देश दिया है कि इस तरह के हालात फिर दोहराए नहीं जाए. मैंने खुद सभी गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखा है, जिनका इलाज चल रहा है. उनके माता-पिता से मुलाकात की है और उनके समस्याओं पर चर्चा की है.”

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