तकनीक का सही इस्तेमाल आपकी दुनिया बदल सकता है

रूसी कंपनी वायरलैस लैब के जनवरी 2017 में लांच हुए लोकप्रिय एप फेसएप की वजह से बीजिंग में 18 साल पहले किडनैप हुए बच्चे को खोज निकालने की सुखद खबर पढ़ने के बाद मैं इस लेख को लिखने से खुद को रोक नहीं पाया, कि तकनीक का अगर सही दिशा में सकारात्मक उपयोग किया जाए तो उसके परिणाम सुखदकारी हो सकते हैं। कल तक जिस फेसएप को लेकर मैनस्ट्रीम मीडिया से लेकर तकनीक के तमाम जानकार लोगों के डेटा चोरी होने और फेसएप को भविष्य का खतरा मानते हुए चर्चाएं कर रहे थे। बीजिंग से आई इस खबर के बाद उन तमाम लोगों के मुंह बंद  हो गए हैं और पलटीमार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दलबदलू की भूमिका में  अपनी फौरन रंग बदलकर फेसएप की तारीफ में कसीदे पढ़ रहा है।

एआई ( आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) यही हो वो तकनीक जिसकी बदौलत 6 मई 2001 को खोया एक बच्चा 18 साल बाद 21 साल की उम्र में खोज निकाला गया। रूसी कंपनी वायरलैस लैब का फेसएप एआई टक्नोलॉजी पर ही काम करता है। अभी तक लोग फेसएप का इस्तेमाल सिर्फ खुद के चेहरे को अपने 60 साल की उम्र में दिखने वाले चेहरे के तौर पर ही कर रहे थे और इस काम में सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज, नेता, अफसर और क्रिकेटर तक अपना बुढ़ापा इस एप की मदद से देख रहे थे। लेकिन कहते हैं न कि हर तकनीक की कुछ खूबियां तो कुछ कमियां भी होती हैं, भारत में फेसएप पर डेटा चोरी करने और लोगों के फोटोज एकत्रित कर उन्हें दूसरी कंपनियों के बेचने के आरोप लगाए जा रहे थे, वहीं चीन में बीजिंग पुलिस ने फेसएप की इस खासियत का इस्तेमाल यू वीफेंग को किडनैपिंग के 18 साल बाद खोज निकालने में कर लिया।

दरअसल 6 मई 2001 को यू वीफेंग को एक कंस्ट्रक्शन साइट से किडनैप कर लिया गया था, तब यू वीफेंग की उम्र 3 साल थी, लेकिन उसका एक फोटो परिजनों के पास मौजूद था। बीजिंग पुलिस 18 साल से यू वीफेंग की खोज कर रही थी, लेकिन चीन पुलिस के झेंग झेनहाई अधिकारी को आइडिया आया कि क्यों न किडनैप और खोये हुए लोगों के फोटोज को फेसएप में डालकर ये देखा जाए कि वर्तमान में वो कैसे दिखते होंगे, बस यही आइडिया काम कर गया। बीजिंग पुलिस ने जैसे ही फेसएप में यू वीफेंग के बचपन की फोटो अपलोड कर उसके वर्तमान में कैसे दिखने का बटन दबाया, नई तस्वीर सामने आ गई। पुलिस ने नए फोटो में यू वीफेंग जैसे दिखने वाले और फोटोज को इक्ट्ठा किया और खोज शुरु कर दी। पुलिस को लगभग समान चेहरों की ऐसी 100 फोटो मिलीं, जिनकी एक एक कर जांच की गई और डीएनए मिलाए गए तो एक शख्स का डीएनए यू वीफेंग के माता-पिता के डीएनए से मैच कर गया। ये युवक 21 साल का था और कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है। पुलिस ने उसे बताया कि आप 3 साल की उम्र में किडनैप हुए थे और आपके माता-पिता कोई और हैं, तो युवक को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब युवक को डीएनए रिपोर्ट दिखाई गई तो वो भी चौंक गया।

यू वीफेंग के फोरमैन पिता ने बेटे के वापस मिलने पर खुशी जताई और उस परिवार का शुक्रिया भी अदा किया जिसने उनके बेटे को पाल-पोस कर इतना बड़ा किया।  फेसएप की वजह से एक गायब बच्चे के वापस मिलने पर एक तरफ जहां दोनों परिवार बेहद खुश थे और एक दूसरे के गले-मिलकर खुशी के आंसू बहा रहे थे, वहीं तकनीक के तमाम जानकारों ने फेसएप के सही इस्तेमाल को लेकर बातें करना शुरु कर दिया।

दरअसल एआई तकनीक (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) भविष्य की ऐसी तकनीक है जो इंसान का जीवन आसान बना देगी। गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने 20 जुलाई को अपने 47वें जन्मदिन के मौके पर कहा भी था कि टेक्नोलॉजी की दुनिया में अब ‘एआई’ सबसे बड़ा गेमचेंजर होगी। सुंदर पिचई ने कहा कि वे पिछले दिनों बर्लिन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी (Technische Universität) के छात्रों से बात कर रहे थे और उन्होंने इसी विषय को सामने रखकर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि 5जी एक अच्छा बदलाव है, लेकिन ये सिर्फ टेक्नोलॉजी को एक कदम आगे ले जाएगी- इसे मौजूदा कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री की टेक्नोलॉजी का अपग्रेड कह सकते हैं। लेकिन, जो असली छलांग है जो कि टेक्नोलॉजी को बहुत आगे ले जाएगी, वह “एआई”  है और मैं इसे ही एक गेम चेंजर का नाम दूंगा।

सुंदर पिचई ने कहा कि दुनिया में तीन तरह के बदलाव हो रहे हैं पहला है 5जी, दूसरा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तीसरा है इलेक्ट्रिक व्हीकल्स। लेकिन इन सब में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भविष्य के लिए वरदान है। एआई तकनीक दुनिया का जीने का हर तरीका बदल देगी। गूगल इस दिशा में बड़ी तेजी से काम भी कर रहा है।

कितना मशहूर हुआ फेसएप?

10 करोड़ से ज्यादा बार गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा चुका है

121 देशों में एपल एप स्टोर पर पहले पायदान पर बना हुआ है

12.5 लाख से ज्यादा इंस्टाग्राम पोस्ट हैं इस एप से जुड़े हुए

22 हजार से ज्यादा ट्वीट हर घंटे हो रहे हैं एजचैलेंज और फेसएप से जुड़े हुए

97% तक रुचि बढ़ी भारत में लोगों की फेसएप में, गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक

फेसएप ने कुछ नया नहीं किया

फेसएप बताता है कि कोई भी व्यक्ति आज से 50 साल बाद कैसा दिखेगा या जवानी में वह कैसा दिखता था। साथ ही इसमें फोटो में चेहरे पर स्माइल जोड़ने, दाढ़ी और बालों की स्टाइल और रंग बदलने जैसा विकल्प भी हैं। यह सब करने के लिए फेसएप आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करता है। यूजर को बस अपनी तस्वीर अपलोड करनी होती है। यूं तो फेसएप 2017 में लॉन्च हुआ था, लेकिन यह वायरल अब हुआ है। इस एप को एक रशियन कंपनी ने वायरलेस लैब ने बनाया था, जिसके संस्थापक और सीईओ यारोलव गोनशरोव माइक्रोसॉफ्ट में काम कर चुके हैं। रशियन होने के कारण ही इस एप से यूजर के डेटा को खतरा होने की बात कही जा रही है।

फेसएप से डेटा सुरक्षा का मामला केवल चर्चा में आया है। ऐसे बहुत सारे एप्स हैं, जो हमसे करीब 250 तरह की परमीशन लेती हैं और हमारा डेटा इस्तेमाल करते हैं। इनमें फेसबुक और गूगल जैसी नामी-गिरामी कंपनियों के एप्स भी शामिल हैं। सायबर एक्सपर्ट और एथिकल हैकर जितेन जैन बताते हैं कि जब आप कोई एप इंस्टॉल करते हैं तो एक प्रकार से उनका कॉन्ट्रैक्ट डिजिटली साइन कर लेते हैं। कई एप्स आपकी लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स और एसएमएस आदि देखने की परमीशन मांगते हैं। सोचने वाली बात यह है कि एक फोटो एप को आपके एसएमएस देखने की क्या जरूरत है? हाल ही में यह भी सामने आया है कि गूगल, एलेक्सा और सीरी से हम जो बातें कह रहे हैं, वे कंपनियां अपने पास सुरक्षित रख रही हैं और विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी को दे रही हैं।

हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने इसे तुरंत अपने मोबाइल से हटाने और एफबीआई से जांच करवाने की मांग की है। हालांकि वे इस बात से ज्यादा डरे हुए हैं कि एप रशियन है। अमेरिका रूस पर उसके चुनावों को इंटरनेट से प्रभावित करने का आरोप लगाता रहा है। मोबाइल एप्स से आपका निजी डेटा शेयर होने का खतरा नया नहीं है। फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों पर डेटा या हमारी निजी जानकारियों का दुरुपयोग करने का आरोप लग चुका है। ये कंपनियां अरबों रुपए हर्जाना भी भर चुकी हैं।

देश को डेटा एक्ट का इंतजार

अगर कोई विदेशी एप भारत में किसी यूजर की निजता का उल्लंघन करते हैं तो उस पर लगाम कसने के लिए देश में कोई कानून नहीं है। 2019 लोकसभा चुनावों के नतीजों के कुछ ही दिन बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि देश को ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ की बहुत आवश्यकता है। इस बिल का पिछले 15 सालों से इंतजार हो रहा है। इसके ड्राफ्ट के मुताबिक कोई भी एप डेटा का इस्तेमाल सिर्फ उसी  काम के लिए कर पाएगा, जिसके लिए उसे बनाया गया है। उदाहरण के लिए फेसएप तस्वीरों का इस्तेमाल केवल बुढ़ापा दिखाने के लिए कर सकता, इसके अलावा नहीं। सायबर एक्सपर्ट  कहते हैं कि फिलहाल यूजर्स को ही सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। एंड्रॉयड यूजर सेटिंग्स में एप्लीकेशन मैनेजर पर जाकर हर एप को दी गईं परमीशन देख सकते हैं।

आप एआई लैब का हिस्सा हैं!

पिछले साल फेसबुक पर 10 ईयर चैलेंज सामने आया था, जिसमें लोग अपनी मौजूदा व 10 साल पुरानी तस्वीर पोस्ट कर रहे थे। इसी तरह तस्वीर को पेंटिंग जैसा बनाने वाली प्रिज्मा एप भी वायरल हुआ था। एक्सपर्ट मानते हैं कि इस तरह दुनियाभर के लोगों की तस्वीरें इकट्‌ठी कर टेक कंपनियां चेहरा पहचानने वाली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक को और एक्युरेट करने में इस्तेमाल कर सकती हैं। दुनियाभर में फेस रेकॉग्निशन तकनीक तेजी से इस्तेमाल हो रही है। उदाहरण के लिए भारत में ही कई एयरपोर्ट्स पर चेहरे को ही बोर्डिंग पास मानकर प्रवेश देने की शुरुआत हो रही है। इसमें व्यक्ति के चेहरे का मिलान एआई से आधार कार्ड की फोटो से हो रहा है। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने भी फेस बेस्ड एआई पर काम करने के लिए टेंडर निकाला है।

फेस रेकॉग्निशन से खतरा क्यों

शोधकर्ता साबित कर चुके हैं कि हाई रेजॉल्यूशन तस्वीरों और अन्य कई तरीकों से फेशियल रेकॉग्निशन (चेहरा पहचानने की तकनीक) को मूर्ख बनाया जा सकता है। हाल ही में सामने आया है कि लंदन पुलिस की फेशियल रेकॉग्निशन तकनीक 80 फीसदी बार नाकाम साबित हो रही है। दुनिया के कई देशों की पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इस टेक्नोलॉजी को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा डेटा की जरूरत है। फेसएप जैसी कंपनियों को तस्वीरों का ऐसा ही डेटा लाखों-करोड़ों लोग मुफ्त में दे रहे हैं। जितेन कहते हैं कि हमारे चेहरों से जुड़ा डेटा सरकार तक सीमित रहे, तब तो ठीक भी है। लेकिन प्राइवेट कंपनियों को ऐसा डेटा देना देश और व्यक्ति दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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