नई दिल्ली, 11 सितंबर 2019
बेरोजगार युवाओं और स्वरोजगार शुरु करने की इच्छा रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। केन्द्र सरकार ने बेरोजगारी से तंग आ चुके नौजवानों को गाय के गोबर और गौमूत्र का स्टार्टअप शुरु करने पर 60 फीसदी तक अनुदान देने की घोषणा की है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये के बजट वाला कामधेनु आयोग बनाया है।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग और आयुष मंत्रालय मिलकर गौमूत्र और पंचगव्य गोबर से मिलकर बनने वाली ऐसी औषधि तैयार कर रहे हैं। पंचगव्य गोबर से तैयार होने वाली औषधि का सेवन गर्भवती महिलाओं के करने पर ज्यादा बुद्धिमान, चतुर और तेज दिमाग वाले बच्चे पैदा होंगे। बताया गया है कि शास्त्रों और आयुर्वेद में पंचगव्य औषधि का जिक्र है। जिसमें पाँच गौ उत्पाद – गोमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी शामिल हैं। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभ कथीरिया ने बताया कि गौमूत्र और गाय के गोबर से तैयार पंचगव्य औषधि के उत्पादन, विपणन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी सहयोग करेगा। कथीरिया के मुताबिक पंचगव्य गोबर औषधि को अगर कोई गर्भवती महिला नियमित रूप से सेवन करती है, तो होने वाले बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कई गुना अधिक रहेगी। गर्भवती महिलाओं को इस दवा का वितरण करने के लिए कामधेनु आयोग शिक्षित वैद्यों की नियुक्ति भी करेगा।
कथीरिया ने कहा कि कोई नौजवान अगर गौमूत्र और गाय के गोबर से जुड़ा स्टार्टअप शुरु करता है तो केन्द्र सरकार ऐसे स्टार्टअप के लिए 60 फीसदी तक अनुदान देगी। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने पशुपालन, गौ- संरक्षण और गौ-कल्याण के लिए ये कदम उठाया है। डेयरी उद्योग के विकास में भी ये कदम कारगर साबित होगा।
अभी तक गाय पालन और डेयरी केन्द्रों को सिर्फ दूध, घी और दूध से बने उत्पादों के व्यवसाय के लिये ही किया जाता था लेकिन ये पहली बार होगा जब गाय का गोबर और गौ-मूत्र भी कमाई कराएगा।
गायों को संवर्धन और बछड़ों के संरक्षण और विकास के लिए फरवरी, 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की आधारशिला रखी थी और आयोग के लिए शुरुआती कोष में 500 करोड़ रुपये का बजट रखा था।
गोबर और गौ-मूत्र के व्यावसायीकरण के साथ-साथ लोगों को दूध नहीं देने वाली गायों को लावारिस नहीं छो़ड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने गाय के उप-उत्पादों के औषधीय मूल्यों पर अनुसंधान को प्रोत्साहन दिये जाने की भी जानकारी दी है।
इतना ही नहीं कामधेनु आयोग के चेयरमैन कथीरिया ने गाय पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देने की योजनाओं के बारे में भी बताया। गाय पर्यटन सर्किट का मार्ग उस क्षेत्र से होकर गुजरेगा जहाँ देसी गाय की नस्लों को पाला जाता है। उन्होंने इस सर्किट के लिए कुछ राज्यों की पहचान की है, जैसे हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा।
केन्द्र सरकार की इस योजना पर अगर सही से अमल होता है और स्टार्टअप कामयाब होते हैं तो गाय का गोबर और गौ-मूत्र सोने से कम नहीं होगा। जो गोबर और गौ-मूत्र जहां-तहां बिखरा दिखाई देता है, उसे समेटने के लिए लोगों की लाइन भी लग सकती है। आवारा गाय आपको करोड़पति बना सकती है।