रायपुर,

भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) के पूर्व प्रबंध संचालक व्ही. रामाराव के विरूद्ध राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को जांच की अनुमति दी है। व्ही. रामाराव के छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक के पद पर रहते हुए डाटा फाइल में छेड़छाड़ एवं कुछ विशेष सप्लायरों को लाभ पहुंचाने की शिकायत की गई थी।

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 17(क) के तहत इस शिकायत की जांच के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से अनुमति मांगी थी। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए व्ही. रामाराव के खिलाफ ईओडब्लू को जांच की अनुमति दे दी है। इस संबंध में विभाग द्वारा राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को पत्र  भी जारी कर दिया गया है।

क्या है सीजीएमएससी घोटाला  ?

बीजेपी सरकार के समय डीकेएस को सुपर मल्टीस्पेशियलिटी हास्पिटल बनाने के लिए करोड़ों की अनियमितता की गई थी। नई सरकार आने के बाद विभागीय जांच कमेटी ने पाया कि डीकेएस में 49 करोड़ की स्वीकृति के विरुद्ध 149 करोड़ के उपकरण और अन्य चीजें खरीदी गई। इस मामले में अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता की मुख्य भूमिका रही। इसके बाद डीकेएस के अधीक्षक डॉ. केके सहारे ने मामले की गोलबाजार थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस की जांच भी पूरी हो गई है। उन्होंने पुनीत गुप्ता व उनके करीबी रहे व खरीदी से जुड़े लोगों का बयान ले लिया है। गुप्ता से भी पूछताछ हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद और तत्कालीन डीकेएस मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के अधीक्षक पुनीत गुप्ता ने बिना प्रशासकीय स्वीकृति के करोड़ों की मशीनें खरीदी। इसमें सीजीएमएससी की लापरवाही भी सामने आई है। पुनीत गुप्ता ने जरूरत से ज्यादा स्टाफ की भर्ती भी की है। आउटसोर्सिंग में हर महीना पांच करोड़ का खर्चा किया गया। इसमेें सफाई का ही 70 लाख है। ठेका में अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने का आरोप भी है। दुकानों को पांच हजार रुपए महीना किराया पर दिया है।

 

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