रायपुर, 20 अगस्त 2019
भूपेश बघेल कैबिनेट ने पंचायतों एवं नगरीय निकायों के माध्यम से होने वाले रेत खदान को पलटते हुए बिडिंग सिस्टम को अपनाया है। अब रेत का पट्टा हासिल करने के लिए कलेक्टर के जरिए रिवर्स बिडिंग कराई जाएगी। जिसमें चयनित बोलीदार को 2 साल के लिए रत खनन का पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधारण रेत (उत्खनन एवं व्यवसाय) नियम, 2019 बनाया है।
प्रदेश में वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत रेत खदान संचालनकर्ता को खनिज रेत का मूल्य एवं अन्य प्रभारित करों को खदान क्षेत्र में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाना होगा। साथ ही रेत परिवहन में संलग्न वाहनों तथा रेत व्यवसाय से जुड़े ट्रेडर्स का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य होगा। ठेकेदार द्वारा रायल्टी एवं अन्य करों का अग्रिम भुगतान कर खनिज ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से अभिवहन पास जारी किया जाएगा। इसमें चयनित बोलीदार को दो वर्ष के लिए रेत उत्खनन पट्टा का आबंटन किया जाएगा।
इसके तहत् 19 अगस्त 2019 को रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा, मुंगेली, कांकेर, बलौदाबाजार-भाटापारा तथा अन्य जिलों में कुल 60 रेत खदानों हेतु एन.आई.टी. जारी किया गया है। जिसमें छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही नीलामी में भाग ले सकता है। रेत उत्खनन में किसी व्यक्ति, फर्म और संस्था का एकाधिकार समाप्त करने के लिए नई व्यवस्था के अंतर्गत किसी एक जिले में मात्र एक खदान समूह तथा पूरे प्रदेश में अधिकतम 5 समूहों में ही रेत खदानें प्राप्त कर सकता है।
प्रस्तावित नवीन व्यवस्था में प्रदेश भर में रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन, भंडारण पर प्रभावी नियंत्रण हेतु जिला एवं प्रदेश स्तर पर उड़नदस्ता दलों का गठन किया जा रहा है। नियमों के उल्लंघन पर दोषी के विरूद्ध कार्यवाही करने एवं रेत परिवहन संलग्न वाहन तथा ट्रेडर्स द्वारा 3 बार से अधिक अवैध परिवहन में लिप्त पाए जाने पर उल्लंघनकर्ता के विरूद्ध ऑनलाईन पंजीयन से पृथक करने की कठोर कार्यवाही की जाएगी। पूर्व में खनिज रेत का उत्खनन के लिए छत्तीसगढ़ गौण खनिज रेत का उत्खनन एवं व्यवसाय विनियमन निर्देश, 2006 के तहत ग्राम पंचायतों को रेत व्यवसाय के लिए अधिकृत किया गया था। उक्त नियमों के तहत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और नगरीय निकायों के द्वारा मात्र रायल्टी प्राप्त कर रेत खदानें संचालित की जा रही थी।
पुरानी व्यवस्था में गाम पंचायतों द्वारा अवैधानिक तरीके से निजी व्यक्तियों के माध्यम से मशीने लगाकर रेत खदानों को ठेके पर दे दिया गया था। माईनिंग प्लान तथा पर्यावरण सम्मति का पालन ग्राम पंचायतों द्वारा नहीं कराया जा पा रहा था। जिन खदानों में मैन्युल लोडिंग हेतु अनुमति प्रदत्त है, उन खदानों में भी मशीनों द्वारा लोडिंग कराए जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। पंचायतों का खदान संचालन में कोई नियंत्रण नहीं होने से मूल्य वृद्धि के साथ-साथ अव्यवस्था उत्पन्न हो गई थी। पूर्व में पंचायतों द्वारा रेत खदान संचालन से जहां लगभग 13 करोड़ मात्र रायल्टी के रूप में प्राप्त हुआ करता था, वही अब नवीन व्यवस्था से लगभग 200 करोड़ राजस्व प्राप्त होने की संभावना है। पंचायतों एवं नगरीय निकायों को विगत 5 वर्षों में प्राप्त अधिकतम वार्षिक राशि में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर समतुल्य राशि संबंधित पंचायत तथा नगरीय निकायों को आगामी वित्तीय वर्ष से प्राप्त होगी।
वर्तमान व्यवस्था के तहत आम जनता को निर्धारित दर पर सुगमता से रेत उपलब्ध हो पाएगा। इससे नदियों एवं जल स्त्रोतों के पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संरक्षण के साथ ही उपभोक्ताओं को सुगमता से उचित मुल्य पर रेत उपलब्ध हो सकेगी। शासन को रायल्टी के साथ डी.एम.एफ., पर्यावरण एवं अधोसंरचना उपकर सहित नीलामी राशि (उच्चतम निर्धारित मूल्य एवं न्यनतम बोली के अंतर की राशि) के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी। रेत के पट्टों के अनुबंध निष्पादन होने से स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।