मुंगेली, 28 सितंबर 2019
ज्यादा दिन नहीं हुए जब मीडिया की सुर्खियों में बिहार में सीवान के बाहुबली विधायक अनंत सिंह, उत्तर प्रदेश में श्रावस्ती के बाहुबली विधायक अतीक अहमद, प्रतापगढ़ के बाहुबली विधायक राजा भैय्या, मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, अमरमणि त्रिपाठी जैसे नेता मीडिया की सुर्खियों में छाये रहते थे। छत्तीसगढ़ में मुंगेली जिले में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह भी बाहुबली बनने की राह पर चलते नजर आ रहे हैँ। 2016 में कांग्रेस का दामन छोड़कर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का हाथ पकड़ने वाले धर्मजीत सिंह 18 साल की उम्र से राजनीति कर रहे हैं। लेकिन बीते कुछ समय से मुंगेली और लोरमी इलाके में धर्मजीत सिंह के नाम की आड़ में आपराधिक गैंग खड़ी होने लगी हैं। धर्मजीत सिंह के चुनाव आयोग को दिये शपथ पत्र के मुताबिक उन पर कोई केस दर्ज नहीं है। फिर ऐसा क्या हुआ है कि बीते कुछ महीनों से मुंगेली और लोरमी इलाके की कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाया जा रहा है। आनन-फानन में पुलिस अफसरों को तितर-बितर किया जा रहा है।
क्या ये सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोई बड़ी साजिश रची जा रही है, ताकि राज्य की कांग्रेस सरकार बदनाम हो और मुख्यमंत्री का नाम खराब हो। सब जानते हैं कि जिन स्थानीय मुद्दों को लेकर अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी बनाई थी, उन मुद्दो को भूपेश बघेल ने लपक लिया और भुना लिया है। इनमें लोकल तीज त्यौहारों पर छुट्टियां घोषित करना, धान खरीदी का समर्थन मूल्य बढ़ाना, कर्जमाफी करना, मरवाही-पेंड्रा गौरेला को जिला बनाना, नई तहसीलों की घोषणा करना। रमन सरकार में हुए भ्रष्ट्राचारों को उजागर करना, राजधानी में बन रहे स्काईवॉक को फिजूलखर्ची मानना।
ऐसे और भी कई मुद्दें हैं जिनके बल पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ राज्य में अपनी एकतरफा जीत के सपने देख रही थी, लेकिन जैसे ही 68 सीटों के साथ कांग्रेस को राज्य की जनता ने जनादेश दिया। जोगी कांग्रेस के नेता हाथ छुड़ाकर वापस कांग्रेस की ओर लौटने लगे। इनमें कई बड़े नेताओं के नाम भी शामिल हैँ। जोगी कांग्रेस का भविष्य क्या होगा ये वक्त के गर्त में समाया हुआ है। जोगी पिता-पुत्र की गिरती सेहत और अलग-अलग मामलों को लेकर दर्ज हो चुकीं एफआईआर और चल रही जांचों के बीच जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ नेतृत्वविहीन दिखाई दे रही है। उसके नेताओं-कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी साफ देखी जा सकती है।
ऐसे में लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह के इलाके में लगातार खराब हो रही कानून व्यवस्था और पुलिस प्रशासन के खिलाफ लगातार हो रहे धरना प्रदर्शन औऱ नारेबाजी की घटनाएं ये दर्शाती हैं कि किसी बड़ी साजिश के तहत इस इलाके में कांग्रेस सरकार के प्रशासनिक कामकाज को ठप करने और उस पर सवाल खड़े करने का षडयंत्र किया जा रहा है। इलाके में जो भी पुलिस अफसर या अन्य दूसरा कर्मचारी बेहतर और ईमानदारी से काम करने की कोशिश करता है और रातों-रात या तो ठिकाने लगा दिया जाता है या फिर उसका तबादला करा दिया जाता है।
ताजा मामला लोरमी की थाना प्रभारी और आदिवासी महिला कविता धुर्वे का है। जिसका तबादला सिर्फ इस बात पर हुआ कि इलाके में चैन स्नैचिंग की घटना हुई थी। लेकिन कल ही विचारपुर में एक बुजुर्ग से 40 लाख की लूट हुई औऱ थाना प्रभार संभाल रहे डीएसपी को खबर तक नहीं लगी।
जानबूझकर किसी समाज विशेष और वर्ग विशेष के लोगों को टारगेट किये जाने के खिलाफ इलाके के आदिवासी समाज के नेता योगेश इसे लेकर आज राज्यपाल अनसुईया उइके से मुलाकात करेंगे। आदिवासी अफसरों को मुंगेली जिले में निशाने पर लिये जाने के खिलाफ आधिवासी समाज 29 सितंबर को रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के समक्ष बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
आदिवासी समाज के नेताओं का आरोप है कि लोरमी का माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ नेताओं के इशारे पर आदिवासी समाज के अफसरों फिर चाहे वो महिला हों या पुरुष उनको टारगेट किया जा रहा है। जबकि बस्तर की सभी सीटें आदिवासियों ने कांग्रेस की झोली में डाली हैँ। कांग्रेस के प्रति इतना समर्पण करने के बाद भी अगर आदिवासी समाज परेशान है तो राज्य की राज्यपाल के भी आदिवासी होने के नाते उनसे न्याय की गुहार लगाना कतई गलत नहीं होगा।