रायपुर, 6 मार्च 2020

1 अप्रैल से एनपीआर यानि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) बनाने की प्रक्रिया शुरु हो रही है। सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर एनपीआर के लिए आंकड़े जुटाएंगे। आपके घर में सदस्यों के नाम, संख्या, आपके घर का वर्गमीटर, कारपेट एरिया, प्लॉट साइज, नौकरी, तनख्वाह, घर में मौजूद सामान, गाड़ी, मोटरसाइकल साईकिल का ब्यौरा जुटाएंगे। दूसरी तरफ हर दस साल में होने वाली जनगणना की भी शुरुआत हो रही है। संविधान में हर दस साल में जनगणना के आंकड़े जुटाए जाने का प्रावधान है। लेकिन जनगणना में जुटाए जाने वाले आंकड़ों को एनपीआर के आंकड़ों के तौर पर इस्तेमाल न किया जाए। इसकी मांग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ मार्कसिस्ट ने की है।

छत्तीसगढ़ के सीपीएम प्रदेश महासचिव संजय पराते ने कहा है कि एनपीआर को लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री विरोध में है। उन सभी की मांग है कि जनगणना के आंकड़ों को एनपीआर से अलग रखा जाए।  संजय पराते ने कहा कि माकपा को आशंका है कि एनपीआर के लिए एकत्रित किये गए आंकड़ों का उपयोग राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) तैयार करने के लिए किया जायेगा। करोड़ों लोग, जिनके नाम इस नागरिकता सूची से छूट जाएंगे, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए अनावश्यक रूप से परेशान और प्रताड़ित किया जाएगा। एक शोध-अध्ययन से यह तथ्य उजागर हुआ है कि केवल 43% भारतीय नागरिकों के पास ही किसी प्रकार के दस्तावेजी सबूत हैं।

 

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