नई दिल्ली, 18 जून 2020
नॉर्वे ने कोरोना वायरस के फैलाव का पता लगाने वाले एक ऐप को निजता के उल्लंघन की चिंताओं की वजह से स्थगित कर दिया है। नॉर्वे की 54 लाख आबादी में लगभग छह लाख लोग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे। नॉर्वे के स्वास्थ्य अधिकारियों ने घोषणा की कि उन्होंने कोरोना वायरस के फैलाव का पता लगाने वाले एक ऐप को स्थगित कर दिया है। यह कदम देश की राष्ट्रीय डाटा सुरक्षा एजेंसी के यह कहने के बाद उठाया गया कि ऐप से निजता का काफी ज्यादा उल्लंघन हो रहा था। इस ऐप को अप्रैल में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य था लोगों की आवाजाही से संबंधित जानकारी को इकठ्ठा करना ताकि एजेंसियां कोविड-19 के फैलाव के बारे में जान पाएं। साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि ऐप इस्तेमाल करने वालों को यह भी बताएगा कि वो किसी संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में तो नहीं आए।
डाटा सुरक्षा एजेंसी डाटातिल्सिनेट ने चेतावनी जारी की थी कि वो नार्वेजियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ को इस ऐप के जरिए इकठ्ठा की गई जानकारी का इस्तेमाल करने से रोक देगी। डाटातिल्सिनेट ने कहा था कि वैसे भी नॉर्वे में कोरोना वायरस का फैलाव सीमित ही रहा है और कम लोगों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने की वजह से ऐप का प्रभाव भी सीमित है। एजेंसी का कहना था कि ऐसे में ऐप के इस्तेमाल से होने वाले निजता का हनन असंगत था।
पब्लिक हेल्थ इंस्टिट्यूट की निदेशक कैमिला स्टॉल्टेनबर्ग का कहना है कि वो इस आकलन से सहमत नहीं हैं लेकिन फिर भी उनका इंस्टिट्यूट ऐप के पूरे डाटा को मिटा देगा और उसके इस्तेमाल को रोक देगा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ऐसा करने से कोरोना वायरस के खिलाफ नॉर्वे की प्रतिक्रिया कमजोर पड़ जाएगी। नॉर्वे की 54 लाख आबादी में लगभग छह लाख लोग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे। इसे नॉर्वे में ही विकसित किया गया था और इसे स्वेच्छा से डाउनलोड करने की आजादी थी। यह ऐप डाटा को एक जगह जमा करता था, ठीक वैसे ही जैसे फ्रांस और ब्रिटेन में करने की योजना है। नॉर्वे में कोरोना वायरस से अभी तक 242 लोगों की मृत्यु हुई है और अब वहां रोजाना संक्रमण के बस कुछ ही नए मामले सामने आ रहे हैं।
इस तरह के ऐप का इस्तेमाल कई देश कर रहे हैं और कई जगह यह कोशिश विवादों से घिरी हुई है। मिसाल के तौर पर, भारत में भी केंद्र सरकार ने ऐसा ही एक ऐप विकसित कराया है जिसका नाम है ‘आरोग्य सेतु’। सरकारी कर्मचारियों के लिए इसे डाउनलोड करना अनिवार्य है। कुछ निजी कंपनियों ने भी इसे अनिवार्य रूप से डाउनलोड और इस्तेमाल करने के दिशा-निर्देश अपनी कर्मचारियों को दिए हुए हैं। यात्रा करने वालों के लिए भी इसका इस्तेमाल अनिवार्य है। इसे अभी तक 10 करोड़ से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है।
जानकार कहते हैं कि इस समय आरोग्य सेतु ऐप एक तरह के लीगल वैक्यूम में काम कर रहा है क्योंकि इसके इस्तेमाल का कानूनी आधार स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके अलावा उनका आकलन है कि ऐप की निजता पॉलिसी और सेवा के शर्त डाटा सुरक्षा के कई सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, जैसे उद्देश्य को सीमित रखना, न्यूनतम डाटा लेना, उसके भंडारण को सीमित रखना, और डाटा को प्रोसेस करने में गोपनीयता, पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन होना। काफी आलोचना के बाद अब ऐप को ओपन-सोर्स तो कर दिया गया है ताकि तकनीकी जानकार इसमें खामियां निकाल कर सरकार को सुधार के तरीके बता सकें, लेकिन इसका इस्तेमाल अब भी किया जा रहा है।