भारतीय पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी इस सप्ताह 12 जुलाई दिन शुक्रवार को है। इसे देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं, इस दौरान देवों के देव महादेव सृष्टि के पालनहार की जिम्मेदारी संभालते हैं। इस दौरान शादी जैसे 16 संस्कार वर्जित रहेंगे। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3:08 से अलगे दिन 12 जुलाई को रात 1:55 मिनट तक रहेगी। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, दान, पुण्य आदि का विशेष लाभ मिलता है। इस दिन उपवास करके सोना, चाँदी, ताँबा या पीतल की भगवान विष्णु की मूर्ति बनवाकर उसका यथोपलब्ध उपचारों से पूजन करें। पीले वस्त्र से विभूषित करके सफेद चादर से ढके हुए गद्दे तकिए वाले पलंग पर भगवान को शयन कराएं। रात्रि के समय इस मंत्र के उच्चारण के साथ भगवान को शयन के लिए प्रार्थना करें l
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथे जगत् सुप्तं भवेदिदम्।
विबुधे च विबुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय।।
भगवान का सोना रात्रि में, करवट बदलना संधि में और जागना दिन में होता है। इसके विपरीत हो तो अच्छा नहीं।