रायपुर, छत्तीसगढ़ में ट्रैफिक संयोजन काटने को लेकर गृह मंत्री और डीजीपी आमने सामने होते नज़र आ रहे हैं।
ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में यातायात पुलिस के द्वारा जुर्माना वसूलने को गैर-जरूरी और लोगों को परेशान करने वाला बताते हुए पिछले दिनों कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से एक बड़ी बैठक में शिकायत कर दी थी। पार्टी कार्यकर्ताओं के तीखे विरोध के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गृहमंत्री को इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद गृह मंत्री ने गृह-मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक के बाद मोटर व्हीकल एक्ट उल्लंघन के मामले में दोष वसूलने के लिए, डीएसपी स्तर और उसके ऊपर के अधिकारियों को कार्रवाई के अधिकार देने का आदेश दिया। बैठक के बाद गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने मीडिया से बातचीत में जानकारी देते हुए बताया कि आने वाले 15 अगस्त के बाद से पूरे प्रदेश में ट्रैफिक मामलों में सड़क पर चेकिंग के दौरान केवल पुलिस के डीएसपी स्तर के अधिकारी ही मामले में जुर्माने का विज्ञापन काटने का काम करते हैं। करेंगे। गृह मंत्री ने कहा कि डीएसपी स्तर से नीचे के पुलिस अधिकारियों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले में चलानी कार्रवाई का अब कोई जवाब नहीं होगा।
होम मिनिस्टर के आदेश के मीडिया में प्रकाशित 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि, पुलिस मुख्यालय से निकले नए आदेश ने लोगों को अचंभित कर दिया।
पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव।अवस्थी ने बाकायदा एक शासकीय पत्र यानि कि फरमान जारी कर दिया। डीजीपी ने इस आदेश में गृहमंत्री के जारी आदेश को पलट दिया। और डीएसपी के साथ साथ इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में बतौर जुर्माना चालान काटने के लिए अधिकृत कर दिया।डीजीपी के नए फरमान से एक बार फिर छत्तीसगढ़ में परंपरागत तरीके से गृहमंत्री और पुलिस मुख्यालय या कह ले,कि डीजीपी के बीच एक बार फिर तलवारें खिंचती साफ नजर आ रही हैं।
प्रदेश के साथ यह एक इत्तेफाक से जुड़ा हुआ है कि रामविचार नेताम, नंकी राम कंवर या फिर रामसेवक पंकरा हो किसी भी गृह मंत्री का पुलिस मुख्यालय या फिर तत्कालीन डीजीपी के साथ तालमेल नहीं बन पाया। गृह मंत्री और पीएचक्यू के बीच मतभेद कई बार तो हुए और मीडिया की सुर्खियों में भी रहे। देखना दिलचस्प होगा कि सत्ता परिवर्तन के बाद से होम मिनिस्टर और डीजीपी के बीच टकराव की स्थिति बनते दिख रही है। उस स्थित से सामना के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कोई नया तरीका नहीं आजमाते हैं कि एक बार फिर यह इत्तेफ़ाक़ में जोतों का जामा पहनने में कामयाब रहा ही रहता है।