नई दिल्ली,
अगले हफ्ते 16 से 21 जून के बीच होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानि (FATF) (वित्तीय कार्रवाई कार्यदल ) की बैठक पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है। क्योंकि इसी बैठक में यह तय किया जाएगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया जाए या नहीं। अगर यह संस्था पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर देती है तो उसे दुनिया में कहीं से कर्ज या आर्थिक मदद हासिल नहीं हो पाएगी। ऐसी स्थिति में पूरा पाकिस्तान दिवालिया हो जाएगा।
दरअसल एफएटीएफ(FATF) दुनिया भर में आतंकी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी है।
पाकिस्तान पहले से ही इसकी ग्रे लिस्ट में है। जिसकी वजह से उसपर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि संस्था ने पाया है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर एक्शन लेने में पाकिस्तान नाकाम रहा है।
एफएटीएफ(FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालकर जैश और लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने वक्त दिया था इसके लिए उसे 27 एक्शन प्लान बताए गए थे। लेकिन पाकिस्तान ने शायद अभी तक इसके मुताबिक उचित कार्रवाई नहीं की है। जिसके बाद से उसपर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान की खराब माली हालत उसके नेताओं के बयानों में भी दिख रही है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के नाम संबोधन दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि 10 साल में पाकिस्तान का कर्ज़ 6000 अरब पाकिस्तानी रुपए से बढ़कर 30 हज़ार अरब पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है। इससे देश के पास अमेरिकी डॉलर की कमी हो गई। हमारे पास इतने डॉलर नहीं बचे कि हम अपने कर्ज़ों की किस्त चुका सकें। मुझे डर हैं कि कहीं पाकिस्तान डिफॉल्टर ना हो जाए।
एफएटीएफ(FATF) की अगली बैठक ओरलैंडों में 16 जून से 21 जून के बीच होने वाली है। जिसमें पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि एफएटीएफ की मीटिंग के दौरान भारत यह दबाव बनाएगा कि पाक को ब्लैकलिस्ट किया जाए। फिलहाल एफएटीएफ ने ईरान और उत्तर कोरिया को ब्लैकलिस्ट कर रखा है।
ब्लैकलिस्ट से चरमराएगी पाक इकॉनमी
एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट किए जाने का मतलब होता है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग के खिलाफ जंग में सहयोग नहीं कर रहा है। यदि पाक को ब्लैक लिस्ट किया जाता है तो फिर उसे वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा मूडीज, स्टैंडर्ड ऐंड पूअर और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं।
गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ते दबाव से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर संकट पैदा कर सकता है इसका संकेत पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने बयान में दे दिया, कि पाकिस्तान को भारी नुकसान का डर सताने लगा है। आतंक के खिलाफ बढ़ते भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दबाव से पाकिस्तान घिरा हुआ महसूस कर रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों ने ये चिंता जताई है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो पाकिस्तान को जबर्दस्त आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
क्या होती है FATF की ग्रे लिस्ट
FATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। FATF की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। आतंकवादी संगठनों को फाइनैंसिंग के तरीकों पर लगाम न कसने वाले लोगों को इस लिस्ट में डाला जाता है।
एफएटीएफ के एक्सपर्ट की एक टीम ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था। इस दौरे का मकसद इस बात की पड़ताल करना था कि क्या इस्लामाबाद ने वित्तीय अपराधों के खिलाफ ग्लोबल स्टैंडर्स पर पर्याप्त प्रगति की है, जिससे वो पैरिस स्थित वॉचडॉग की ग्रे लिस्ट से बाहर निकल सके। FATF की टीम ने मार्च के अंतिम सप्ताह में इस्लामाबाद का तीन दिन का दौरा किया था। अगली एफएटीएफ की समीक्षा 16 से 21 जून वॉशिंगटन में होगी और इससे पहले पाकिस्तान को 16 बिंदुओं पर गंभीरता दिखानी होगी। आपको बता दें कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स आतंकवाद के आर्थिक मदद और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने के लिए काम करता है।