नई दिल्ली, 8 दिसंबर 2020

कड़ाके की सर्दी के बीच दिल्ली में सियासी तापमान बढ़ा हुआ है। जेएनयू में छात्रों की पिटाई, सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर दिल्ली में जहां-तहां प्रदर्शन, विरोध, धरना देखने को मिल रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच चुनाव आयोग दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव कराने का ऐलान कर चुका है। चुनाव से पहले जो भी तमाम सर्वे और जनता की राय अभी तक अलग-अलग माध्यमों से सामने आई है। उसके मुताबिक दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ वापसी कर रही है।

वेब रिपोर्टर संवाददाता ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जाकर दिल्लीवालों के दिल का हाल जानने की कोशिश की तो इसमें सिर्फ और सिर्फ एक ही सुर सुनाई दिया कि केजरीवाल सौ फीसदी वापसी कर रहा है। आखिर केजरीवाल दिल्ली में इतने लोकप्रिय क्यों हैं, इस सवाल पर कुछ बुद्धिजीवियों और दिल्लीवासियों ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली में धर्म, जाति, समुदाय देखे बिना सभी के लिए काम किया है। लोगोें ने कहा कि केजरीवाल सरकार के पास दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यू़डी और दूसरे विभाग हैं जबकि म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन दिल्ली बीजेपी के पास है। लेकिन एमसीडी में जितने घोटाले, घपले और लापरवाही है उसका एक फीसदी भी केजरीवाल सरकार के पास मौजूद विभागों में नहीं है।

खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह चुके हैं कि दिल्लीवालों अगर काम किया है तो आम आदमी पार्टी को वोट देना और अगर लगे कि काम नहीं किया है तो बिल्कुल भी वोट मत देना।

दिल्ली के लोगों को भी मानना है कि केजरीवाल ने अपने 5 साल के कार्यकाल में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी है।  आज दिल्ली के किसी भी सरकारी स्कूल में चले जाइए। आपको सरकारी स्कूल में हर वो सुविधा मिलेगी जो किसी प्राइवेट स्कूल में मिलती है और ऐसा सिर्फ पिछले 5 सालों में ही संभव हो पाया है, जबकि इससे पहले लगातार 15 साल कांग्रेस राज कर चुकी है, बीजेपी राज कर चुकी है।

भा गया केजरीवाल का स्टाइल

दिल्लीवालों को केजरीवाल का फ्री वाई-फाई, फ्री पानी, फ्री बिजली, महिलाओं के लिए फ्री मेट्रो, ऑटो वालों के लिए किए गए सुधारों से हर महीने ऑटोचालकों को हो रही 20 से 25 हजार तक की बचत। तमाम ऐसे मामले हैं जिन पर केजरीवाल सरकार ने काम किया है। लोगों को अपनी गली, मोहल्ला, पास का सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल में डॉक्टर चाहिए था, और यही चीज केजरीवाल ने लोगों को उन तक पहुंचा दी। नतीजा आज दिल्ली के हर मोहल्ल के गली में रहने वाला गरीब आदमी या कहें कि आम आदमी खुद को सीएम केजरीवाल के करीब पा रहा है।

हालांकि कानून व्यवस्था, दिल्ली पुलिस जैसे कई मुद्दे हैं जो दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है। केजरीवाल इन दोनों ही चीजों को लेने के लिए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग जब तब करते रहे हैं। दिल्ली अगर पूर्ण राज्य  बनती है तो दिल्ली पुलिस सीधे दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएगी और उसके बाद राजधानी की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी भी दिल्ली सरकार की होगी। लेकिन अभी दिल्ली पुलिस पर दिल्ली सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिये जेएनयू जैसी घटनाएं हो रही हैं।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तारीफ करते नहीं थकते पुलिसवाले

जमीना हालात का जायजा लेने दिल्ली की सड़कों पर निकले वेब रिपोर्टर के सामने दिल्ली पुलिस के जवानों ने भी स्वीकार किया कि केजरीवाल जैसा काम आज तक दिल्ली में किसी ने नहीं किया। हालांकि शीला दीक्षित को दिल्ली में फ्लाईओवर और सड़कें बिछाने का श्रेय जाता है, लेकिन दिल्ली की जो मूल जरूरत थी उसे सिर्फ केजरीवाल ने ही पहचाना है। दिल्ली के स्कूलों की तारीफ दिल्ली पुलिस के जवान भी करते हैं, उनका कहना है कि उनके भी बच्ची दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और बच्चों को पहले से ज्यादा मजा स्कूल में आता है।

बेहद कम समय में लोकप्रिय हुए केजरीवाल

इंडिया अंगेस्ट करप्शन एनजीओ के साथ जुड़कर  सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उभरे केजरीवाल देखते ही देखते चंद सालों में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।  केजरीवाल उन करिश्माई नेताओं में शामिल हैं जो बहुत जल्द लोगों की नजरों में चढ़े और सितारा बन गए। अन्ना हजारे, किरण बेदी, कुमार विश्वास, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण जैसे लोगों की एक टीम यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सड़क पर उतरी थी, इसमें सबसे ज्यादा ओजस्वी वक्ता अरविंद केजरीवाल ही थे। केजरीवाल चूंकि आईआरएस ( इंडियन रेवेन्यू सर्विस) से इस्तीफा देकर सामाजिक कार्यकर्ता बने थे। उनका कहना था कि सर्विस में रहकर आप इच्छित कार्य जनता के लिए नहीं कर पाते हैं। इसके लिए आपको राजनीति में आऩा ही पड़ेगा। 2010 से 2012 तक भ्रष्टाचार, लोकपाल बिल को लेकर किए गए आंदोलन, अनशन, राइट टू रिकॉल को लेकर छेड़ी गई मुहिम जैसे विषय उस वक्त जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। उसी दौरान दिसंबर 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप कांड ने केजरीवाले के आंदोलन को और बढ़ावा दे दिया। नतीजा कांग्रेस साफ हो गई और पहले ही चुनाव में तीन महीने के लिए अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गए। चूंकि सदन में बहुमत कम था, दोबारा चुनाव हुआ औऱ 67 सीटें जीतकर केजरीवाल पूरे 5 साल के लिए सत्ता में आ गए।

काम बोलता है।

बॉलीवुड फिल्म के गाने कि पैसा बोलता है कि तर्ज पर केजरीवाल ने काम बोलता है सिद्धांत को अपनाया और आज हर जगह दिल्ली में सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल के काम की ही तारीफ हो रही है। हालांकि मीडिया में प्रचार प्रसार पर किये जा रहे खर्च को लेकर विरोधी उनकी टांग खिंचाई करने से बाज नहीं आते हैँ। लेकिन केजरीवाल इन सबसे बेफ्रिक होकर आगे बढ़े जा रहे हैं। अब निगाहें 11 फरवरी को आने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव नतीजों पर टिकी हैं।

 

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