रायपुर, 17 जनवरी 2020
देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में गुणवत्ता में सुधार के लिए यूजीसी ने नई गाइडलाइन तैयार की है। 12 सूत्रीय गाइड लाइन में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के उन सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। जो किसी भी संस्थान के लिए जरूरी होते हैं। यूजीसी ने गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ 2022 तक देश के सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को “नैक” (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) की ग्रेडिंग लिया जाना अनिवार्य कर दिया है।
इसके बाद देशभर के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में इस वक्त नैक ग्रेडिंग पाने के लिए जी तोड़ मेहनत की जा रही है। आंकड़े और डाटा जुटाये जा रहे हैं, कॉलेज, विश्वविद्यालयों की व्यवस्थाओं को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है। इसमें रायपुर का साइंस कॉलेज भी शामिल है। रायपुर साइंस कॉलेज को अभी तक नैक की ग्रेडिंग प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिये इस बार नैक ग्रेडिंग पाने के लिए रायपुर साइंस कॉलेज का स्टाफ रात दिन एक किये हुए है।
यूजीसी ने नैक की ग्रेडिंग प्रदान करने एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए जो नई पहल शुरु की है। उसमें 12 बिंदु प्रमुख हैँ।
- 1. छात्रों के लिए प्रेरण कार्यक्रम (Induction Programme for Students) : यूजीसी ने दीक्षारंभ- छात्र प्रेरण कार्यक्रम गाइड तैयार की है। कार्यक्रम को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि छात्रों में जुड़ाव की भावना और उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता विकसित करने, उन्हें नए संस्थान के लोकाचार से परिचित कराने के सहायता प्रदान करके माध्यमिक से कॉलेज/ विश्वविद्यालय में बिना किसी प्रयास के स्वाभाविक रूप से लाया जा सके। छात्र प्रेरण कार्यक्रम (एसआईपी) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) के लिए 8 कार्यशालाओं का आयोजन किया और इन कार्यशालाओं में 1650 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। लगभग 400 उच्च शिक्षा संस्थानों ने छात्र प्रेरण कार्यक्रम (एसआईपी) को लागू कर दिया है।
- शिक्षा परिणाम आधारित पाठ्यक्रम रूपरेखा (एलओसीएफ) में संशोधन (Learning Outcomes based Curriculum Framework (LOCF) revision) : यूजीसी ने शिक्षा के क्षेत्र में शामिल विभिन्न विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने के बाद शिक्षा परिणाम आधारित पाठ्यक्रम रूपरेखा पर एक दस्तावेज तैयार किया है। शिक्षा परिणाम आधारित दृष्टिकोण का मूल आधार शिक्षा परिणाम कार्यक्रम और शैक्षणिक मानकों सहित स्नातक द्वारा प्राप्त की जाने वाली विशेषताओं को श्रेणीवद्ध करना है। यह एक छात्र केंद्रित सीखने का तरीका है। एलओसीएफ का उद्देश्य छात्रों को ज्ञान, कौशल, मूल्य और दृष्टिकोण से सुसज्जित करना है। यूजीसी ने 37 विषयों में एलओसीएफ को बनाने के लिए विषय विशिष्ट विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।नमूना पाठ्यक्रम को तैयार करते हुए, समिति ने विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (सीबीसीएस) को ध्यान में रखा है, जो संबंधित क्षेत्र में नवीनतम विकास और बहु-विषयक दृष्टिकोण है। यूजीसी ने 19 विषयों के अंतिम एलओसीएफ दस्तावेज़ अपलोड कर दिये गए हैं , वही ६ विषयों के लिए एलओसीएफ दस्तावेज़, हितधारकों की टिप्पणियों को शामिल करने के लिए वेबसाइट में अपलोड किए गए हैं। यूजीसी जल्द ही यूजीसी की वेबसाइट पर इन पाठ्यक्रम रिपोर्टों को सुझावों को सम्मिलित करके अपलोड करेगा और विश्वविद्यालयों से यूजीसी के मॉडल पाठ्यक्रम के आलोक में पाठ्यक्रम को संशोधित करने का अनुरोध करेगा।
- प्रभावी शिक्षण शिक्षा प्रक्रिया के लिए आईसीटी आधारित शिक्षा उपकरणों का उपयोग (ICT based learning tools for effective teaching) : स्नातकों को नए काम के माहौल के लिए तैयार करने के लिए, आईसीटी आधारित शिक्षण शिक्षा उपकरण को एकीकृत करने और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों से जोड़ने की पहल की गई है।
यूजीसी ने निम्नलिखित पहल की हैं:
- ई पीजी पाठशाला : 70 विषयों में लगभग 23,500 मॉड्यूल औरई-पीजी पाठशाला परियोजना के चार चतुर्थांश दृष्टिकोण में 723 पेपर विकसित किए गए हैं । दुनिया भर के 41 लाख (लगभग) शिक्षार्थियों ने ई-पीजी पाठशाला में प्रवेश किया है।
- सक्रिय और युवा आकांक्षी मन के अध्ययन वेब ( स्वयं ) पर यूजीसी व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम ( एमओओसी ) : यूजीसी के स्वयं विनियम, 2016 के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थान स्वयं मंच के माध्यम से एक सत्र में किसी एक कार्यक्रम में पेश किए जा रहे कुल पाठ्यक्रमों का20% प्रदान कर सकता है। इसके साथ ही, वर्ष 2018 के ऑनलाइन कार्यक्रमों के लिए यूजीसी विनियम संस्थानों को ऑनलाइन प्रमाणपत्र, डिप्लोमा और डिग्री कार्यक्रम के लिए अनुमति प्रदान करता है । जुलाई 2017 से नवम्बर 2019 के सत्र में स्वयं पोर्टल पर 138 MOOC पाठ्यक्रम में 2,37,556 शिक्षार्थियों ने नामांकन किया हैं | साथ ही, स्वयं पोर्टल के माध्यम से पाठ्यक्रमो हेतु क्रेडिट अंतरण 133 विश्वविद्यालयों ने स्वीकार किया है | स्वयं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, यूजीसी ने वर्ष 2019 में 4 कार्यशालाओं का आयोजन किया |
- छात्रों के लिए जीवन कौशल (Life skills (JeevanKaushal) for students) : वैश्विक रोजगार और सफल जीवन जीने के लिए स्नातकों को महत्वपूर्ण कौशल से सशक्त बनाने के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार किया गया है | यूजीसी द्वाराजीवन कौशलपर एक पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। यह 120 घंटे का 8 क्रेडिट पाठ्यक्रम है। पाठ्यक्रम में प्रत्येक 30 घंटे के 4 मॉड्यूल सम्प्रेषण कौशल, पेशेवर कौशल, उद्यमशीलता सहित नेतृत्व और प्रबंधन तथा सार्वभौमिक मानव मूल्य पर आधारित होंगे | साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि जीवन कौशल के 4 पाठ्यक्रम के लिए स्वयं मंच पर स्वयं की सुविधानुसार (MOOC) पाठ्यक्रम विकसित किए जाएंगे। विश्वविद्यालयों में 300 प्रशिक्षण कार्यशालाएं और महाविद्यालयों में 10,000 प्रशिक्षण कार्यशालाएं करना भी प्रस्तावित हैं।
- प्रत्येक संस्थान का सामाजिक और उद्योग से जुड़ाव (Social and Industry connects for every institution) : गुणवत्ता अधिदेश के इस भाग का उद्देश्य हमारे स्नातकों को सशक्त बनाने हेतु मुख्य ज्ञान/कौशल क्षेत्रों की पहचान करने के लिए विश्वविद्यालयों और उद्योग/व्यावसायिक संगठनों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना है। इस पहल के अंतर्गत, प्रत्येक संस्थान कम से कम5 गाँवों को ज्ञान के आदान-प्रदान और गाँवों की समग्र सामाजिक/आर्थिक बेहतरी के लिए अपनाएगा | यूजीसी ने ” भारत मेंउच्च शिक्षा संस्थानों के सामाजिक दायित्व सामुदायिक कार्य को बढ़ावा देना” विषय पर30 घंटे के 02 क्रेडिट पाठ्यक्रमविकसित किए गए हैं,कम से कम50% पाठ्यक्रम सभी शिक्षा क्षेत्रों के छात्रों के लिए अनिवार्य किया जाना है।
साथ ही, उद्योग/व्यावसायिक संगठनों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए, यूजीसी ने विश्वविद्यालय संपर्क कार्यक्रम को सक्रिय एवं समर्थ करने का प्रारूप दस्तावेज़ तैयार किया है|
- छात्र कैरियर प्रगति और पूर्व छात्र नेटवर्क (Student Career Progression and Alumni Network) : उच्च शिक्षा केबाद छात्र प्रगति पर नज़र रखने और उच्च शिक्षा सुधारों के प्रभाव का आकलन करने के लिए ट्रैक की गई जानकारी का उपयोग करने और सुधार करने हेतु यूजीसी ने “छात्र कैरियर प्रगति और पूर्व छात्र नेटवर्क” नीति दस्तावेज तैयार किया है।
- संकाय प्रेरण कार्यक्रम (एफपीआई) (Faculty Induction Programme) : यूजीसी ने सभी नए भर्ती हुए शिक्षकों के लिए संकाय प्रेरण कार्यक्रम ( एफआईपी ) विकसित किया है । एफआईपी का उद्देश्य शिक्षकों को संरचना, कार्यपद्धति, नियम, विनियम आदि से परिचित कराना; उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझना; शिक्षा शास्त्र प्रक्रियाओं का पता लगाना और उच्च शिक्षा में आत्म-विकास और नैतिकता और मूल्यों के पोषण के महत्व को पहचानना है। इस उद्देश्य के लिए, यूजीसी ने संकाय प्रेरण कार्यक्रम पर एक रूपरेखा तैयार की है और शीघ्र ही इसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। यूजीसी शिक्षकों के प्रशिक्षण(टीओटी) के लिए 4 विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। लगभग 640 शिक्षकों को शिक्षक प्रेरण कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षित किया गया ।
- भारतसरकार ने एआरपीआईटी ( शिक्षण में वार्षिक पुनश्चर्या कार्यक्रम) नाम से एक कार्यक्रम भी शुरू किया है , जो अपने शिक्षा क्षेत्रों में शिक्षकों के ज्ञान को अद्यतन करने के लिए विषय विशिष्ट पुनश्चर्या कार्यक्रम आयोजित करेगा । इन पाठ्यक्रमों द्वारा लगभग13 लाख शिक्षकों के लाभान्वित होने की आशा है, जो इस उद्देश्य के लिए चिन्हित 75 राष्ट्रीय संसाधन केंद्रों के माध्यम से स्वयं सहायता मंच पर एमओओसी पाठ्यक्रमों के माध्यम से पेश किए जाएंगे । पाठ्यक्रम समापन होने के पश्चात परीक्षा होगी।
- शिक्षाविदों के लिए नेतृत्व कार्यक्रम (एलईएपी) सार्वजनिक वित्तपोषित उच्च शैक्षणिक संस्थानों में द्वितीय स्तर के शिक्षाविद पदाधिकारियों के लिए तीन सप्ताह का अग्रणी नेतृत्व विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम ( 2 सप्ताह का देश में और 1 सप्ताह का विदेश में प्रशिक्षण) है। इसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय स्तर के शैक्षणिक प्रमुखों को भविष्य में नेतृत्व भूमिका निभाने के लिए तैयार करना है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने “उच्च शिक्षा में शासन: कुलपतियों के लिए पुस्तक” जारी की है जो पदधारियों एवं भावी कुलपतियों की सहायता के लिए रेडी रेकनर के रूप में काम करेगी। इस पुस्तक में कार्यक्षेत्र के विशिष्ट ज्ञान, कौशल एवं दृष्टिकोण को शामिल किया गया है जिनकी कुलपतियों को आवश्यकता होती है ताकि उनको उनकी विविध भूमिकाओं में सशक्त बनाया जा सके।
- संकाय द्वारा गुणवत्ताअनुसंधान को बढ़ावा देना और नए ज्ञान का सृजन (Promoting quality research by faculty and creation of new knowledge) :
- एसटीआरआईडीई (STRIDE): इस पहल का उद्देश्य संकाय द्वारा गुणवत्ता अंतर्विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देना है, ताकि अभूतपूर्व ज्ञान के निर्माण के लिए नवीन और ज्ञान-संबधी सोच को विकसित किया जा सके और इस तरह अकादमिक संकाय को’गुणवत्तापूर्ण वैज्ञानिकों’ के रूप में तैयार होने के लिए प्रेरित किया जा सके।
इस योजना के तीन घटक हैं:
- विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान क्षमता का निर्माण (सभी विषयों के लिए)
- राष्ट्रीय विकास के लिए अंतर्विषयक अनुसंधान और समावेशी नवाचार (सभी विषयों के लिए)
- मानविकी और मानव विज्ञान में उच्च प्रभाव वाले अंतर्विषयक अनुसंधान।
कुल 3891 प्रस्ताव प्राप्त हुए जिसमें घटक 1 में 269, घटक 2 में 3036 और घटक 3 में 484 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं । घटक 1 में 55 प्रस्तावो को चुना गया और उन में से 35 संस्थानो का अंतिम चयन किया गया |
- केयर: यूजीसी ने सामाजिक विज्ञान, मानविकी, भाषा, कला, संस्कृति, भारतीय ज्ञान प्रणालियों आदि जैसे विषयों में विश्वसनीय गुणवत्ता पत्रिकाओं की एक सूची का सुझाव देने के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान आचारनीति (सीएआरई) के लिए सहायता संघ की स्थापना की है । यूजीसी केयर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, यूजीसी ने “अनुसंधान अखंडता जागरूकता कार्यशाला” पर 5 कार्यशालाओं का आयोजन किया| गुणवत्ता पत्रिकाओं की केयर वेबसाइट और संदर्भ सूची लोगों में अधिक जागरूकता पैदा करने और शैक्षणिक सत्यनिष्ठा और नैतिक प्रकाशन को बढ़ावा देने में उपयोगी सिद्ध होगी।
- परामर्श (Paramarsh) : उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता आश्वासन को बढ़ावा देने के लिए अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थान द्वारा “एनएएसी आकांक्षी संस्थानों को परामर्श देने के दिशानिर्देश‘परामर्श” तैयार किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत , 167 परामर्शदाता उच्च शिक्षण संस्थाओँ का चयन किया गया है , जो की लगभग 950 परामर्शप्राप्तकर्ता उच्च शिक्षण संस्थाओँ को परामर्श देंगी|
- सतत-उच्च शैक्षणिक संस्थानों में पर्यावरण अनुकूलन और परिसर विकास की रूपरेखा: यह रूपरेखा विश्वविद्यालयों को अपने-अपने परिसरों में पर्यावरणमय गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए चिंतनशील नीति और व्यवहार को अपनाने और इसके लिए भविष्य में सतत् हरित तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है
- ‘मूल्य प्रवाह’-उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मानव मूल्यों और व्यावसायिक आचार नीति के लिए दिशा-निर्देश: शैक्षणिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और आचार नीति की संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करने वाली प्रक्रिया पर चर्चा करने और उसे कारगर बनाने की आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक नीतिगत रूपरेखा ‘मूल्य प्रवाह’-उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मानव मूल्यों और व्यावसायिक आचार नीति के लिए दिशा-निर्देश’ भी तैयार किए हैं।
- मूल्यांकन सुधार (Evaluation Reforms) : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ओछात्रों के मूल्यांकन की निष्पक्ष और वस्तुपरक प्रणाली बहुत आवश्यक है। छात्रों के आकलन और मूल्यांकन को अधिक सार्थक और प्रभावी बनाने के लिए अध्ययन के परिणामों से जोड़ा जाना जरूरी है। इसी उद्देश्य के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भारत में उच्चतर शिक्षा संस्थानों में मूल्यांकन सुधार नाम रिपोर्ट तैयार की है।