रायपुर,
विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर नेता बने पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की मुश्किलें बढ़ सकती हैँ। दतंतेवाड़ा में करोड़ों रुपये की जमीन की हेराफेरी करने के मामले में ओपी चौधरी की भूमिका की जांच भूपेश सरकार ने एडिशन चीफ सेक्रेटरी सी.के. खेतान को सौंप दी है। राज्य सरकार ने खेतान को जांच के आदेश भी दे दिये हैं। जिसके बाद राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश के अऩुसार एडिशन चीफ सेक्रेटरी सी.के. खेतान को दंतेवाड़ा में हुए जमीन घोटाले की जांच के लिए प्राधिकारी नियुक्त किया गया है।
आरोप है कि दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहने के दौरान ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा जिला पंचायत के पास वैधनाथ नाम के व्यक्ति की 3.67 एकड़ कृषि भूमि को हड़पने और अदला-बदली करने में महती भूमिका निभाई थी। वैधनाथ की कृषि भूमि को 4 रसूखदार लोगों ने मात्र 10 लाख रुपये में खरीद लिया था और तत्कालानी भाजपा सरकार के समय जिला प्रशासन के साथ सेटिंग करते हुए जमीन की अदलाब-बदली करके दंतेवाड़ा बस स्टैंड के पास करोड़ों की जमीन और कृषि भूमि पर कब्जा जमा लिया था।
मामला 2011 का है इस दौरान ओपी चौधरी दंतेवाड़ा के कलेक्टर थे। पीड़ित के मुताबिक तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम ने मात्र 15 दिनों के भीतर ही जमीन की अदला-बदली की प्रक्रिया पूरी कर दी थी, जबकि इतने कम समय में तो किसी जमीन की रजिस्ट्री तक नहीं हो पाती है। जमीन की अदला-बदली को लेकर इतनी तेजी क्यों दिखाई गई..किसके इशारे पर दिखाई गई…इन्ही सब बिंदुओं को लेकर हो रही जांच के घेरे में ओपी चौधरी की भूमिका संदिग्ध दिखाई पड़ रही है।
ओपी चौधरी इस मामले में पहले ही ये कह चुके हैं कि कोई हेराफेरी नहीं हुई है, जो हुआ है नियमानुसार हुआ है।