नयी दिल्ली,

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कथित प्रेमिका को लेकर फेसबुक पर कमेंट  के साथ एक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को फौरन रिहा करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत कन्नौजिया ने कोई हत्या का जुर्म नहीं किया है, जो उसे 11 दिन तक जेल में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्रवाई को गलत बताते हुए प्रशांत कन्नौजिया की गिरफ्तारी को कानून के खिलाफ बताया है।

पत्रकार प्रशांत कनौजिया के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर कहा कि उसने गलत किया या सही इस पर कोई टिप्‍पणी नहीं कर रहा हूं।  इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा, ‘ट्वीट क्या है, इससे मतलब नहीं है, किस प्रावधान के तहत गिरफ्तारी हुई है, ये महत्वपूर्ण है।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, हमने रिकॉर्ड देखा है, एक नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार में दखल दिया गया है।  अदालत ने कहा कि एक नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है, उसे बचाए रखना जरूरी है।

शीर्ष अदालतने कहा कि आपत्तिजनक पोस्ट पर विचार अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन गिरफ्तारी क्यों ? सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया की पत्नी को मामले को हाईकोर्ट ले जाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान IPC की धारा 505 के तहत इस मामले में एफआईआर दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए।  अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि किन धाराओं के तहत ये गिरफ्तारी की गई है।  ऐसा शेयर करना सही नहीं था लेकिन फिर गिरफ्तारी क्यों हुई है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. यूपी सरकार की ओर से ASG विक्रमजीत बनर्जी ने कहा, ये ट्विट बेहद अपमानजनक थे, हमने IPC 505 भी लगाई है. कोर्ट ने आगे सवाल किया कि इसमें शरारत क्या है? आमतौर पर हम इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं करते, लेकिन इस तरह किसी व्यक्ति को 11 दिनों तक जेल में नहीं रख सकते.

ये केस हत्या का नहीं है.’ इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, प्रशांत को तुंरत रिहा किया जाना चाहिए. यूपी सरकार ने इस पर कहा, मजिस्ट्रेट ने रिमांड में भेजा है. इस तरह छोड़ा नहीं जा सकता. कोर्ट ने कहा, हम ऐसे बातों को पंसद नहीं करते लेकिन सवाल है कि क्या उसे सलाखों के पीछे रखा रखा जाना चाहिए. हम कार्रवाई को न तो रद्द कर रहे हैं ना ही स्टे कर रहे हैं।

गौरतलब है कि बीते दिनों एक महिला ने मीडिया के सामने आकर योगी आदित्यनाथ के साथ अपनी चैटिंग को लेकर एक बयान दिया था, उसी बयान को प्रशांत कनौजिया ने फेसबुक पर एक कमेंट के साथ पोस्ट कर दिया था,…

ये पोस्ट किया था प्रशांत कनौजिया ने-

प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी के विरोध में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया एवं पत्रकारों के दूसरे संगठनों ने 10 जून को दिल्ली में मार्च निकाला था, पत्रकार संगठनों ने प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए इसे यूपी पुलिस और योगी सरकार की तानाशाही करार दिया था।

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