बिलासपुर, एक मासूम बच्चे के फांसी लगा लेने की घटना के जांच के बाद बाल संप्रेक्षण गृह को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है;
बिलासपुर में हाल ही में बिलासपुर बाल संप्रेक्षण गृह में किशोर के फांसी लगा लेने की घटना के बाद संप्रेक्षण गृह में चल रही गफलत का बड़ा खुलासा हुआ है। यहां भटके बच्चों को सुधारने का जिम्मा जिन अधिकारियों को दिया गया था, उन्होंने बच्चों को पीटने के लिए 5 बाउंसर रखे थे। ये बच्चों को सुधारने की बजाए उन्हें पीटने का ही काम करते थे। घाव होने पर बच्चों के जख्मों पर मिर्च और नमक लगाकर थर्ड डिग्री का टार्चर देते थे। निर्दयी बाउंसर से पिटवाने वाली तत्कालीन अधीक्षिका का दिल बच्चों के लिए कभी नहीं पसीजा। निर्दयी अधीक्षिका की करतूतों से बाल संप्रेक्षण गृह के बच्चे लगातार मार झेल रहे थे।

बाल संप्रेक्षण गृह में 26 जुलाई की रात चोरी के मामले में केन्द्रीय जेल से दाखिल करने के कुछ घंटों के बाद 17 वर्षीय किशोर ने चेजिंग रूम में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। किशोर की लाश बाल संप्रेक्षण गृह में रहने वाले 1 किशोर ने सबसे पहले देखी थी। घटना के बाद से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। घटना के बाद पुलिस ने मर्ग कायम किया था। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि बाल संप्रेक्षण गृह की तत्कालीन अधीक्षिका अनुराधा सिंह ने बच्चों को निर्ममता से पिटाई का ज़िम्मा पांच बाउंसर दे रखी थी, बाउंसरों की सुबह और रात्रि में बाल संप्रेक्षण गृह में ड्यूटी लगाई जाती थी। बाउंसरों को बच्चों को पीटने की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही घाव होने पर वे बच्चों के जख्मों पर नमक और मिर्च भी लगाते थे।

बता दें सरकंडा पुलिस के अनुसार बाल संप्रेक्षण गृह में किशोर के फांसी लगाने के बाद पुलिस को सूचना देने संप्रेक्षण गृह का चौकीदार उमाशंकर नवरंग पिता सौपत राम नवरंग थाने पहुंचा था। उसने खुद को संप्रेक्षण गृह का चौकीदार बताया था मगर वो चौकीदार नहीं बल्कि तत्कालीन अधीक्षिका द्वारा नियुक्ति किया गया बाउंसर है।

संप्रेक्षण गृह में कैसी है व्यवस्था

46 बच्चों के सोने के लिए 6 कमरे, पढ़ाई व मनोरंजन के लिए 1 हॉल है।निगरानी के लिए दिन में 2 व रात्रि में 2 चौकीदार नियुक्त हैं, इन्हीं को बच्चों की देखरेख का जिम्मा दिया गया है। बाल संप्रेक्षण गृह में पहुंचने वाले भटके बच्चों से मारपीट और परेशान कर उनके परिजनों से मोटी रकम ऐंठी जा सके, जिसका फायदा खुद के लिए और अधिकारियों के लिए किया जा सके।Pic@googl

टॉर्चर रूम का कोडवर्ड में नाम वीआईपी रूम

किशोर ने जिस कमरे में फांसी लगाई थी, वह बच्चों के सोने के 6 कमरों से लगा हुआ है। उस कमरे में बच्चे नहाने के बाद कपड़े बदलते हैं। इस कमरे में संप्रेक्षण गृह में पहली बार पहुंचने वाले बच्चों को डराने और प्रताडि़त करने के लिए रात में सोने के लिए भेजा जाता है। कमरे में न तो पंखा है और न ही लाइट की व्यवस्था है। 26 जुलाई की रात इसी कमरे में मृतक किशोर को सोने के लिए अकेले भेजा गया था। इस कमरे को बाल संप्रेक्षण गृह के बच्चे कोडवर्ड में वीआईपी रूम बोलते हैं।

विवाद की स्थिति में चार दिन खाना बन्द की सजा

बाल संप्रेक्षण गृह में बच्चों के बीच विवाद या मारपीट होती है तो बाउंसर पहले दोनों बच्चों की पीटते हैं। इसके बाद बच्चों को एक समय का भोजन नहीं दिया जाता है और भूखे पेट सोने के लिए वीआईपी रूम में भेज दिया जाता है। इसके साथ ही बच्चों को 4 दिनों तक खाने में सिर्फ चावल और नमक सजा के तौर पर दिया जाता है।

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By Admin

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