रायपुर, 21 जनवरी 2020
11 साल पहले 12 जुलाई 2009 को राजनांदगांव जिले के मानपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मदनवाड़ा, महका पहाड़ी, कारेकट्टा एवं कोरकोट्टी के करीब हुए नक्सली हमले की न्यायिक जांच के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश शंभूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर दिया है। आयोग 6 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। आयोग के गठन की अधिसूचना 15 जनवरी के छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है। राज्य सरकार की यह राय है कि मदनवाड़ा नक्सली घटना के 10 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उक्त घटना के संबंध में सार्वजनिक महत्व के अनेक महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए एक जांच आयोग नियुक्त करना आवश्यक है।
यह आयोग निम्न बिन्दुओं पर जांच करेगा –
यह घटना किन परिस्थितियों में घटित हुयी। क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था। क्या सुरक्षा की सभी निर्धारित प्रक्रियाओं-निर्देशों का पालन किया गया था। वे कौन सी परिस्थितियां थीं जिनके आधार पर पुलिस अधीक्षक एवं सुरक्षा बलों को उक्त अभियान में जाना पड़ा। मदनवाड़ा, कारेकट्टा एवं कोरकुट्टी में पुलिस अधीक्षक एवं सुरक्षाबलों के एम्बुश में फंसने पर क्या अतिरिक्त संसाधन एवं बल उपलब्ध कराया गया। यदि हां, तो उसको स्पष्ट करें। उक्त घटना में नक्सलियों को हुए नुकसान एवं नक्सलियों के घायल, मृत होने के संबंध में जांच। उक्त घटना में मृत एवं घायल सुरक्षाबल के सदस्य किन परिस्थितियों में मृत एवं घायल हुए। घटना के पूर्व, घटना के दौरान एवं घटना के उपरांत ऐसे अन्य मुद्दे, जो घटना से संबंधित हों, इस बाबत् तथ्यात्मक प्रतिवेदन। क्या राज्य पुलिस बल एवं केन्द्रीय बल के बीच में समुचित समन्वय रहा है। भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, सुरक्षा एवं प्रशासकीय कदम उठाये जाने के संबंध में सुझाव एवं उपाय। अन्य ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु जो घटना से संबंधित हों।
मदनवाड़ा नक्सली हमले में राजनांदगांव के तत्कालीन एसपी व्ही. के. चौबे सहित 29 पुलिसर्मी शहीद हो गए थे। कुछ महीने पहले बिलासपुर के एक कार्यक्रम में रंजना विनोद चौबे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर मदनवाड़ा नक्सली हमले की नए सिरे से जांच कराने की मांग की थी। उनके आवेदन पर सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है, जिससे नक्सल वारदात की पूरी सच्चाई सामने आ सके।