रायपुर, 27 जुलाई

आर्थिक अन्वेषण शाखा एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता की निलंबन को लेकर लगाई गई अर्जी पर 5 अगस्त को कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) में सुनवाई होगी। मुकेश गुप्ता ने अपने निलंबन को गलत बताते हुए वापस बहाल करने की मांग की है। मुकेश गुप्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि प्रदेश के कई बड़े भ्रष्टाचार और दूसरे मामलों को उजागर करने में उनकी अहम भूमिका रही है। इसके लिए उन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड से भी पुरस्कृत किया गया। लेकिन इन्हीं वजहों से उनको निशाना बनाकर निलंबित किया गया है।  मुकेश गुप्ता ने जिस घोटाले को उजागर करने का जिक्र कैट में दाखिल अपनी याचिका में किया है। उसमें उन्होंने बिलासपुर के पीडब्ल्यूडी अफसर आलोक अग्रवाल के मामले का हवाला दिया है। आलोक अग्रवाल के खिलाफ दो केस दर्ज किये गये थे। इनमें एक मामला आय से अधिक संपत्ति का था जबकि दूसरा टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का था।

मुकेश गुप्ता की अर्जी पर कैट ने प्रदेश के गृह विभाग से पूछा है कि डीजी मुकेश गुप्ता को निलंबित क्यों किया गया ? कैट ने 5 अगस्त को सुनवाई नहीं होने तक मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी है। दिसंबर 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही डीजी मुकेश गुप्ता पर पहली कार्रवाई दिसंबर 2018 में ही की गई। पहले डीजी गुप्ता को ईओडब्ल्यू से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच किया गया। उसके बाद अवैध रूप से फोन टैपिंग का मामला उजागर होने पर डीजी मुकेश गुप्ता को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच बिठा दी गई। अवैध फोन टैपिंग और उसके बाद नान घोटाले में नाम जुड़ने के बाद मुकेश गुप्ता के खिलाफ ईओडब्ल्यू को जांच के लिए कह दिया गया। लेकिन मुकेश गुप्ता ईओडब्ल्यू दफ्तर और विभागीय जांच में सहयोग करने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं। दिसंबर से लेकर अब तक मुकेश गुप्ता सिर्फ एक बार ही ईओडब्ल्यू अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे हैं।

अपने खिलाफ चल रही जांचों को मुकेश गुप्ता ने साजिश बताते हुए साथी अफसरों पर निशाना साधा है। गुप्ता ने कहा कि डीजीपी डीएम अवस्थी और हाल ही में रिटायर हुए डीजी गिरधारी नायक का नाम लेकर कहा है कि गिरधारी नायक के साथ उनके संबंध कभी अच्छे नहीं रहे। ऐसे में नायक को जांच का जिम्मा सौंपकर उनके साथ षडयंत्र किया जा रहा है। वहीं डीएम अवस्थी को लेकर मुकेश गुप्ता ने तर्क दिया है कि ईओडब्ल्यू में डीजी रहने के दौरान अवस्थी उनके अधीन एडीजी ईओडब्ल्यू रह चुके हैं, ऐसे में उनको जांच करने का अधिकार नहीं है।

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