रायपुर,
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे और संकल्प को लेकर सत्ता में आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने प्रदेश की बेटियां रेंगकर उनके आवास तक पहुंचेंगी ! सुनकर अजीब लग रहा होगा ! लेकिन ये सच है, 24 जून को आदिवासी अंचल कर रहने वाली नर्सिंग की छात्राएं रेंगकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचेगी और अपनी मांगों को लेकर सीएम भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपेंगी।
नर्सिंग की आदिवासी छात्राओं को रेंगकर सीएम आवास तक जाने की जरूरत क्यों पड़ रही है, इसकी कहानी सुनेंगे तो आप दर्द से कराह उठेंगे। जिस सरकार ने छत्तीसगढ़ में 15 साल तक शासन किया और हर बार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करती रही, उसी सरकार की नीतियों और कारगुजारियों के चलते प्रदेश की आदिवासी बेटियों को रेंगकर सीएम आवास तक जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आदिवासी बेटियां जब सीएम भूपेश बघेल से मिलेंगी तब किसी की आंखों में आंसू दिखेंगे तो किसी का चेहरा मुरझाया हुआ नजर आएगा।
आखिर उनके चेहरे पर रौनक हो भी तो किस बात की। वर्ष 2016 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने यूरोपीय कमीशन की ECSPP योजना के तहत आदिवासी छात्राओं को नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश दिलाया था, लेकिन ECSPP योजना के फंड में घोटाला होने के कारण इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया। घोटाले की आड़ लेकर तत्कालीन रमन सरकार ने नर्सिंग छात्राओं को छात्रवृत्ति देना बंद कर दिया, जबकि यूरोपीय कमीशन की ओर से छात्राओं को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि पहले ही राज्य सरकार को दी जा चुकी थी।
बीते ढ़ाई साल में पीड़ित छात्राएं तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से लेकर, भाजपा सरकार के मंत्री और अफसरों से मिलकर अपना दुखड़ा सुना चुकी हैं, लेकिन किसी के भी कान पर जूं तक नहीं रेंगी है। छात्रवृत्ति नहीं मिलने की वजह से छात्राओं के परिजनों को कर्ज लेकर फीस चुकानी पड़ी है। कई छात्राओं के माता-पिता को अपनी जमीन और गहने तक गिरवी रखने पड़े हैं। छात्राओं के मुताबिक निजी नर्सिंग कॉलेज अनुबंध से ज्यादा फीस मांग रहे हैं, कई नर्सिंग कॉलेजों ने फीस नहीं चुकाने पर अंकसूची रोकने की धमकी तक दे डाली है।
भाजपा सरकार में सतायी गई छात्राओं को कांग्रेस सरकार से इंसाफ की उम्मीद है। सरकार बदलने के बाद 1 मार्च को पीड़ित छात्राएं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर चुकी हैं, तब मुख्यमंत्री ने इन छात्राओं को शीघ्र छात्रवृ्त्ति दिलाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली है। छात्राओं के इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ में सीपीएम नेता सक्रिय हो गए हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की जनवादी नौजवान सभा ने आदिवासी छात्राओं के संघर्ष में उनका साथ देने का फैसला किया है। माकपा राज्य सचिव संजय पराते और जनौस राज्य संयोजक प्रशांत झा ने सरकार से आग्रह किया है कि छात्रों को उनकी लंबित छात्रवृत्ति तुरंत दी जाये और प्रोजेक्ट के अनुसार उन्हें नौकरियां दी जाएं। सीपीएम नेता संजय पराते ने कहा है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग के हजारों पद खाली हैं और आदिवासी क्षेत्रों में तो भारी किल्लत है। ऐसे में इन प्रशिक्षित नर्सों की मदद से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार संभव है।