रायपुर, 4 नवंबर 2019
राज्य के हक का पैसा तो दे दो मोदी जी
“ये मोदी है सामने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना जानता है” ये डॉयलॉग किसी फिल्म का नहीं बल्कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ऑन रिकॉर्ड दिया गया बयान है। लेकिन ये बयान सिर्फ पाकिस्तान या आतंकवादियों पर ही लागू नहीं होता है बल्कि अपने राजनीतिक विरोधियों और विपक्ष पर भी नरेन्द्र मोदी पूरी तरह लागू करते हैं।
जो राज्य (चाहे वो किसी भी पार्टी शासित हो) नरेन्द्र मोदी के हिसाब से नहीं चलेगा, मोदीजी उसका खाना, पीना, हवा, पानी सब रोक देंगे यहां तक कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदेंगे बल्कि राज्य को मिलने वाले जरूरी फंड को भी दबाकर बैठ जाएंगे। क्योंकि वो मोदी हैँ सामने वाले को उसी भाषा में जवाब देना जानते हैं। लेकिन वो ये नहीं जानते कि ऐसा करने से किसी पार्टी विशेष या उनके राजनीतिक विरोधियों को तकलीफ नहीं हो रही है बल्कि उस जनता को तकलीफ हो रही जिसने 303 सीटें जितवाकर आपको और आपकी सरकार को संसद भेजा है।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में किये वादे के मुताबिक 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार इसे पूरा करना भी चाहती है लेकिन केन्द्र सरकार ने 1815 रुपये प्रति क्वंटल से धान खरीदे जाने का निर्णय किया है। ऐसे में प्रदेश का किसान दोनों के बीच पिस गया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश के सांसदों की बैठक बुलाने और केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस बैठक में किसी भी भाजपा नेता के शामिल होन से ही इंकार कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस आक्रामक होकर भाजपा को किसान विरोधी, गरीब विरोधी और मजदूर विरोधी बताकर आंदोलन के मूड में आ गई है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष और महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि रमन सिंह का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और रमन सिंह के किसान विरोधी और छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र को उजागर करता है। भाजपा का किसानों के प्रति रवैया अब स्पष्ट हो गया है। आज समय की मांग है कि प्रमुख विपक्षी दल भाजपा किसानों के हितों और छत्तीसगढ़ राज्य के हितों के साथ खड़ा होता। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह जी के बयान के मुताबिक तो लेकिन भाजपा के सांसद तो चर्चा में भी भाग नहीं लेना चाहती है।
शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ राज्य के हक का पैसा दबाकर बैठ गई है। कांग्रेस ने मांग की है कि फूड सब्सिडी और जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि के बकाया 3000 करोड़, मनरेगा का पुराना बकाया 300 करोड़ रू. मनरेगा मजदूरी मद के मद में 1050.77 करोड़ और सामग्री मद 931.38 करोड़ यानी कुल 5282.15 करोड़ रुपए की बकाया राशि छत्तीसगढ़ को जल्द से जल्द केन्द्र सरकार द्वारा दी जाये।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों से उपार्जित धान से बने सरप्लस चावल को केंद्र की मोदी सरकार खरीदने से इसलिए मना कर रही है क्योंकि कांग्रेस सरकार किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान कर रही है। वह चाहती है कि किसानों को सिर्फ 1815 रु. प्रति क्विंटल दिया जाये। किसानों की आय दोगुना करने का वादा करने वाली मोदी सरकार दरअसल किसानों के चेहरे पर खुशी बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। कांग्रेस ने वादा किया है तो इसके लिए किसान भाइयों से साथ मिलकर लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी।
अगर रमन सिंह सरकार को दो वर्ष राहत दी गई थी तो छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये अगले पांच साल और राहत दी जानी चाहिए। खरीफ वर्ष 2019-20 में प्रदेश के किसानों के उपार्जित धान से निर्मित चावल का सेंट्रल पूल के माध्यम से सरप्लस 32 लाख मीट्रिक टन चांवल की खरीदी किया जाए।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि मोदी जी ने वादा तो कर दिया पर किसानों को किसान सम्मान निधि दी नहीं जा रही है। मोदी सरकार ने हर साल किसानों को छह हजार रुपए किसान सम्मान निधि के रूप में देने का वादा किया था। उनका यह वादा भी बाकी सारे वादों की तरह झूठा साबित हो रहा है।
छत्तीसगढ़ के किसानों में से लाखों किसानों को इस निधि की पूरी राशि नहीं मिल पाई है। छत्तीसगढ़ में पहली किस्त में 13.7 लाख, दूसरी किस्त में 4.1 लाख तथा तीसरी किस्त में मात्र 23,859 किसान परिवारों को राशि मिल पाई है। पहली किस्त के 89 करोड 20 लाख, दूसरी किस्त का 281 करोड़, 20 लाख तथा तीसरे किस्त का 358 करोड़, 42 लाख, 12 हजार रूपए बकाया है।
कांग्रेस ने मांग की है कि किसान सम्मान निधि की शेष 728 करोड़, 82 लाख, 12 हजार रू. राशि का पंजीकृत 18 लाख 16 हजार किसान परिवारों को तत्काल भुगतान किया जाए।
कैरोसिन (मिट्टी तेल) के कोटे में कटौती का विरोध करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि उज्जवला गैस कनेक्शन के नाम पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्रदेश को दिए जाने वाले कैरोसीन (मिट्टी तेल) के कोटे में कटौती की जा रही है। 2015-16 के लिये 1.72 लाख किलोलीटर का कोटा था जिसे घटाकर 2018-19 में 1.1लाख किलोलीटर कर दिया गया।
सच यह है कि प्रदेश में उज्जवला कनेक्शन वाले गैसे सिलेंडर रीफिल नहीं करवा पा रहे हैं। प्रदेश में मात्र 1.8 प्रतिशत लोग ही गैस सिलेंडर फिर से भरवा पा रहे हैं। ऐसे में मिट्टी तेल ही उनका सहारा है।
कांग्रेस ने मोदी सरकार से मांग की है कि मिट्टी तेल के कोटे में कटौती तत्काल समाप्त की जाए।