रायपुर,
कहावत है “तू डाल-डाल मैं पात-पात”, छत्तीसगढ़ की सियासत में कुछ यही हो रहा है। शहर की जनता से राय लिये बिना सार्वजनिक परिवहन को व्यवस्थित करने के नाम पर एक पार्टी की सरकार ने वक्त का तकाजा बताकर राजधानी में स्काईवॉक नाम योजना के खंभे खड़े कर दिये। अब सत्ता बदलने पर बहुमत में आई दूसरी पार्टी की सरकार ने जनता से राय लेकर स्काईवॉक के खड़े खंभों को अनुपयोगी और पैसे की बर्बादी करार दे दिया है। पहले 50 करोड़ खर्च कर स्काईवॉक के खंभे खड़े किए गए,,,अब करोड़ों खर्च कर इन खंभों को जमींदोज किया जाएगा। यानि 50 करोड़ रुपये मिट्टी में मिला दिये गए हैं। गलती किसकी….ये जनता की समझ के लिए छोड़ दिया गया है।
सलमान खान की एक फिल्म का एक मशहूर डॉयलॉग भी है कि “मैं दिल में आता हूं समझ में नहीं” स्काईवॉक का हाल भी कुछ ऐसा है, इसके निर्माण पर खर्च हुए 50 करोड़ खर्च तो हुए हैं लेकिन दिखते नहीं,,,ठीक 50 करोड़ मिट्टी में मिलने वाले हैं, लेकिन दिखेंगे नहीं। ये जनता समझे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता की राय और इच्छा बताते हुे स्काईवॉक को तोड़ने का फैसला किया है। सरकार का तर्क है कि स्काईवॉक को तोड़ने के लिए उन्होंने शहर में सर्वे कराया था, जिसमें ज्यादातर लोगों ने स्काईवॉक को तोड़ दिया जाना ही बेहतर बताया है। मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद स्काईवॉक को तोड़ने पर आने वाले खर्च का सर्वे होना शुरु हो गया है, यही सर्वे निर्माण से पहले ड़ॉ रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते कराया था, तब भी तर्क दिया गया था कि जनता की राय है स्काईवॉक होना चाहिए। अब सच क्या है, ये या तो भूपेश बघेल जानते हैं या रमन सिंह।
स्काई वॉक को लेकर लोगों की भी अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
ये जनता की जीत-कुणाल शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता।
आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने इसे जनहित की लड़ाई बताते हुए स्काई वॉक को तोड़ने के सरकार के निर्णय को आम लोगों की जीत बताया है, उन्होंने कहा कि जिस इलाके में इसका निर्माण करवाया जा रहा था, वह पहले ही शहर का सबसे अधिक भीड़भाड़ और हैवी ट्रैफिक दवाब वाला एरिया है।स्काई-वॉक एक तो सरकारी धन की फिजूल खर्ची थी,ऊपर से इसकी वजह से ट्रैफिक दवाब कम होने की जगह और बढ़ जा रहा है।
तोड़ना धन की बर्बादी- संजय श्रीवास्तव, भाजपा नेता
भाजपा नेता और एनआरडीए के पूर्व चेयरमैन संजय श्रीवास्तव ने भूपेश बघेल सरकार के स्काई वॉक तोड़ने के फैसले का विरोध किया है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बदले की भावना से कार्य कर रही है।श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर रमन सिंह की सरकार ने शहर में पैदल यात्रा करने वालों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए,इस महत्वकांक्षी योजना की नींव रखी थी और, उसे तोड़ना न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि इससे पदयात्रियों को शहर में मिलने सुविधाएं भी नहीं मिल सकेंगी।
ये था स्काई वॉक का प्रावधान –
स्काई वॉक के लिए 2016-17 के बजट में प्रावधान करीब 49.9 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। कंसल्टेंट एसएन भोबे, मुंबई को 20 सितंबर 2016 को अनुबंधित किया गया था। कंसल्टेंट की रिपोर्ट के मुताबिक हर रोज शास्त्री चौक से 27 हजार और मेकाहारा चौक से 14 हजार लोग पैदल गुजरते हैं। लेकिन रमन सरकार का पूरा कार्यकाल गुजर गया और सरकार बदल गई लेकिन स्काई वॉक का कार्य पूरा नहीं हो पाया। स्काई वॉक योजना पर अमल करने से पूर्व भाजपा सरकार ने आम जनता से कोई राय नहीं ली थी, बल्कि मुंबई से आई एक कंपनी से सर्वे कराकर स्काई वॉक का काम शुरु करा दिया था। स्काई वॉक योजना को 2018 जुलाई तक पूरा हो जाना था, लेकिन तीन बार इसका समय और तीन बार इसका बजट रमन सरकार के कार्यकाल में बढ़ाया गया।