नई दिल्ली, 9 नवंबर 2019
अयोध्या की विवादित रामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। दशकों पुराने विवाद का खात्मा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1046 पेज के फैसले में कहा है कि विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का कब्जा बरकरार रहेगा। विवादित जमीन रामललाल विराजमान को दी जाएगी। निर्मोही अखाड़ा, शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलील और दावे को सुप्रीम कोर्ट ने ठोस सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। मुस्लिम पक्ष के पक्षकार इकबाल अंसारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप विवादित जमीन पर मस्जिद होने के प्रमाण साबित नहीं कर पाए।
शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह पर देने का आदेश दिया है अब ये जमीन केन्द्र सरकार दे या फिर राज्य सरकार मुहैया कराए, जगह कहां दी जाए इस पर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा है।
मंदिर निर्माण के लिए सरकार से एक ट्रस्ट गठित करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने अदालत के फैसले को सर्वोच्च मानकर विवाद खत्म होना स्वीकार कर लिया है। वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जताई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जफरयाब जिलानी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का अधिकार मौजूद है। जिलानी ने कहा कि वे बोर्ड की एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और उशके बाद फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का फैसला किया जाएगा।
जिलानी ने सभी समुदाय के लोगों से शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील की है।