रायपुर, 9 अक्टूबर 19

विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा, हरेली, तीजा-पोला और कर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर चुकी भूपेश सरकार ने गौरी-गौरा उत्सव भी धूमधाम से मनाने की घोषणा करके छत्तीसगढ़ियों का दिल जीत लिया है। गौरी-गौरा उत्सव छत्तीसगढ़ में दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला त्योहार है। सरकार अभी से गौरी-गौरा उत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारियों में लग गई है।

आम जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और सरकार को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस सरकार के द्वारा लोक संस्कृति से जुड़कर लिये जा रहे फैसले जनता को खूब पसंद आ रहे हैँ। पहले जिन त्योहार- लोक पर्वों पर जनता को अवकाश नहीं मिलता था, अब उन त्योहारों पर सार्वजनिक छुट्टियों का ऐलान करके सरकार लोगों के दिलों के बेहद करीब जा पहुंची है। कांग्रेस सरकार ने इस साल राज्योत्सव का जश्न 1 नवंबर को नया रायपुर में न मनाकर रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित करने का फैसला करके जनता को पहले ही खुश कर दिया है।

भाजपा शासनकाल में नया रायपुर में राज्योत्सव का आयोजन होने से प्रदेेश के आम नागरिक वहां पहुंच ही नहीं पाते थे, सिर्फ धनी और गाड़ी-घोड़ा वाले लोग ही राज्योत्सव का आनंद ले पाते थे। पिछले दस सालों से ये परंपरा वहां चल रही थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही जनता के दिल के बेहद करीब रहने वाले त्योहारों पर छुट्टियां घोषित करके, लोक पर्वों में सरकार की भागीदारी सुनिश्चित करके और राज्य गठन के सबसे बड़े जश्न को जनता के करीब लाने का फैसला करके ठेठ छत्तीसगढ़ी होने का संदेश दिया है।

इस बार राज्य कई तरह के ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बन रहा है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ नारे को साकार करने में जुटी भूपेश बघेल सरकार ने पहले नरवा, गरवा, घुरवा और बारी, छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, का नारा देकर गांवों की दशा और दिशा बदलने के लिए पहला बड़ा कदम उठाया। उसके बाद छत्तीसगढ़िया अस्मिता, संस्कृति, लोक परंपरा और लोक पर्वों का पालन करते हुए जनता के मन की बात जानकर हर छत्तीसगढ़िया के मन में ये बात बिठा दी है कि ये उनकी सरकार है, आम जनता की सरकार है।

गौरी-गौरा पर्व को उत्सव के रूप में मनाने के राज्य सरकार के फैसले का प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्वागत किया है।  प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि गौरी-गौरा को उत्सव के रूप में मनाने के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले से  स्पष्ट है कि सरकार छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहार, लोक परंपरा, सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का काम कर रही है। धनंजय ठाकुर ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी खूशबू को दर किनार कर आयातित संस्कृति को बढ़ाने का काम करने का आरोप मढ़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सिर्फ तीज त्योहारों पर सरकारी अवकाश ही नहीं बल्कि लोक पर्वों को वृहद रूप में मनाने और उनमें सबकी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए ये फैसले लिये हैं।

गौरतलब है कि गौरी-गौरा उत्सव  छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का प्रमुख त्योहार है। राजिम में लगने वाला माघी पुन्नी मेला भी ऐसी ही एक सांस्कृतिक पहचान है। जिसे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नाम बदलकर राजिम कुंभ कर दिया था। आम लोगों से जुड़कर चलने और उन्हीं की तरह दिखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कभी हाथों पर लट्टू घुमाते दिखाई देते हैं, तो कभी गेड़ी पर चढ़ते दिखाई देते हैँ। कभी बैलगाड़ी की सवारी करते हैं तो कभी रहट-झूले में बेटी के साथ झूलते दिखाई देते हैं। और तो और एक हाथ में छोटे बच्चे को उठाकर संतुलन बनाते हुए भी दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ऐसी तस्वीरें आम छत्तीसगढ़िया को बहुत भा रही हैँ। जनता को लग रहा है कि उनके अपने बीच का कोई शख्स मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर रहा है, एक आम छत्तीसगढ़िया के मन में जीवन जीने और संस्कृति में रच-बसकर जीने का जो ख्वाब पल रहा होता है उसे भूपेश बघेल सरकार में रहकर साकार करते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर पहुंची कांग्रेस ने दंतेवाड़ा उपचुनाव में भी भारी मतों से जीत दर्ज की है। अब चित्रकोट भी कांग्रेस की झोली में गिरना तय माना जा रहा है।

वो अलग बात है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस नेतृत्व के लिए तरस रही है और वहां नेतृत्वविहीनता की स्थिति बनी हुई है। राहुल गांधी पार्टी को किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में छोड़कर छुट्टियां मनाने के लिए विदेश रवाना हो गए हैं, वहीं हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर खड़े हैं। तीन अहम राज्यों में चुनाव के बीच कांग्रेस अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष तक तय नहीं कर पाई है। ये कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है। लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपना हाथ मजबूत कर लिया है, इसमें कोई शक नहीं रह जाता है।

 

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