रायपुर, 26 फरवरी 2020

28 फरवरी को वर्ष 2020 का राष्ट्रीय विज्ञान दिवस महिला वैज्ञानिकों को समर्पित हैं। विज्ञान में महिलाएं थीम पर इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाएगा। इसके लिए देश भर के स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में तैयारियां की जा रही हैं। विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज को जागरूक करने और लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के मकसद से प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने की शुरुआत 28 फरवरी 1986 से हुई थी। भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. सी.वी. रमन ने 28 फरवरी 1928 को “रमन प्रभाव” की खोज की थी, इसी उपलक्ष्य में नेशनल साइंड डे सेलिब्रेट किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना उनमें वैज्ञानिक बनने की सोच पैदा करना और लोगों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों और दैनिक जीवन में विज्ञान की उपयोगिता बताना है। ताकि लोग देश के वैज्ञानिकों और विज्ञान पर गर्व कर सकें। भारत सरकार अपने नारे में जवान, जय किसान, जय विज्ञान का उल्लेख करती है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस यानि 28 फरवरी को देशभर के वैज्ञानिक संस्थानों, शिक्षा संस्थानों, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस दिन विज्ञान पर आधारित लेक्चर, निबंध, भाषण, साइंस क्विज कॉम्पिटीशन, साइंस एक्जिबिशन, साइंस सेमिनार, सिम्पोजियम आदि आयोजित की जाते हैं। इसी दिन विज्ञान से जुड़े हुए राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर वर्ष देश में विज्ञान की निरंतर उन्नति का आह्वान करता है।

डॉ. सी.वी. रमन को जानिये।

28 फरवरी 1928 को कोलकाता में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जिसे रमन इफेक्ट या रमन प्रभाव से जाना गया। रमन प्रभाव की मदद से कणों की आण्विक और परमाण्विक संरचना का पता लगाया जा सकता है।  इसके लिए डॉ. सीवी रमन को 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1930 तक एशिया के किसी भी व्यक्ति को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था, इसलिये भारत के लिए नेशनल साइंस डे विशेष महत्व रखता है। नोबेल पुरस्कार के अवॉर्ड समारोह में डॉ. सी.वी. रमन ने अल्कोहल का इस्तेमाल किया था।

क्या है रमन प्रभाव ?

रमन प्रभाव के अनुसार एकल तरंग -दैर्ध्य प्रकाश (मोनोकोमेटिक) किरणें जब किसी पारदर्शक माध्यम जैसे ठोस, द्रव अथवा गैस से गुजरती हैं, तो किरणें छितराई हुई अवस्था में होती हैं, मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं। इन किरणों को रमन किरणें कहा जाता है। ये किरणें माध्यम के कणओं के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं।

रमन प्रभाव रसायनों की आण्विक संरचना के अध्ययन में एक प्रभावी साधन है। इसका वैज्ञानिक अनुसंधान की अन्य शाखाओं जैसे औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान,  रासायनिक विज्ञान, खगोल विज्ञान एवं टेलीकम्यूनिकेशन में बहुत योगदान है।

क्यों खास है डॉ. रमन की खोज?

रमन प्रभाव की  खोज होने से पहले महान वैज्ञानिक न्यूटन ने बताया था कि प्रकाश सिर्फ एक तरंग है और उसमें अणु के गुण नहीं पाये जाते हैं। दूसरे महान वैज्ञानिक आइन्सटाइन ने इसके उलट सिद्धांत दिया, लेकिन रमन प्रभाव की खोज ने आइन्सटाइन के सिद्धांत को भी प्रमाणित कर दिया। आइन्सटाइ ने कहा था कि प्रकाश में तरंग के साथ अणुओँ के गुण भी कुछ हद तक पाये जाते हैं।

 

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By Admin

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