मुंगेली,जिले के लोरमी ब्लॉक के आदिवासी क्षेत्र सांभर धसान में आश्रय लिए 32 बैगा आदि आदिवासियों के एक सुविधाविहीन जर्जरनुमा हाल में जीवन बसर करने का मामला सामने आया। इस जर्जरनुमा भवन में निवासरत इतने परिवारो का रह पाना क्या संभव है? कहा है इनके मौलिक अधिकार? क्यो नही उपलब्ध कराई जा रही है इन्हें मूलभूत सुविधाएं? यह पूरा मामला हाल ही में बिलासपुर सांसद अरुण साव ने लोकसभा में उठाया मगर राज्य सरकार अब तक सुध नही ली।
बता दें लोरमी से 20 किलोमीटर दूर इन बैगा आदिवासियों की जिंदगी बद से भी बदतर है। ना ही शौचालय, हॉस्पिटल किसी भी प्रकार की सुविधाएं मिल पा रही है। बरसात के दिनों स्वास्थ्य का भी इनके जीवन पर बुरा हाल है। इससे पहले भयंकर गर्मी में ही पेड़ो ने नीचे जीवन बसर करने मजबूर रहे।
अब हाल यह है कि पंचायत के एक जर्जरनुमा सामुदायिक भवन में ये बेबस लाइन से चूल्हे लगाकर खाना बना रहे हैं लगभग 100 लोगो रात को इस भवन में नारकनुमा बिना बिस्तर के सोने मजबूर हैं। भले ही मुंगेली जिला ओडीएफ घोसित है लेकिन पूरा 32 परिवार खुले में ही शौंच के लिए मजबूर है।जिला प्रशासन हरसमय स्वास्थ्य विभाग के शिविरों का माध्यम से बेहतर उपचार सुविधाएं दिए जाने की जब बात कही जाती है तो इन लोगो को वो सुविधाएं अब तक नही क्यो नही मिल पा रही है।प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नही मिल पाया ऐसे में सरकार इन 32 आदिवासी परिवार को किसी भी प्रकार की सुविधा नही मिल पा रही है।
अ स्मॉल स्टेप संस्था ने जाना हाल
जब देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर में सांसद अरुण साव के माध्यम से आदिवासियों के विस्थापन संबंधी मामले को सामाजिक संस्था अ स्माल स्टेप ने सुना तो इस संस्था द्वारा इन बैगा आदिवासी क्षेत्र में जाकर वहां की स्थिति जानी तो समझ यही आया कि वनांचल में चाहे नौनिहाल हो या गरीब आदिवासियों का परिवार जिनके समक्ष सरकार की कोई दृष्टि नही मर मर कर ही जीने विवश है। रोटी, कपड़ा, मकान,शौचालय, हॉस्पिटल भी मुहैया नही है। संस्था के सदस्यों ने एक बालक छात्रावास की मरी हुई व्यवस्था का वीडियो भी बनाया। अ स्माल स्टेप के द्वारा वहां जाकर इन बेबस लाचारों के लिए यथासंभव मदद भी की गई। ये आदिवासी सरकार से उम्मीद लगाये इंतजार कर रहे की कब हमारी सुध ली जायेगी।