नई दिल्ली,
लोकसभा की 303 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी दूसरी बार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 
सरकार बनाने जा रही है। लेकिन देश के आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार मोदी के लिए
चिंता का विषय है। देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए नरेन्द्र मोदी को
टैक्स और ब्याज दरों में तत्काल कटौती करने की आवश्यकता होगी। 


एक शीर्ष औद्योगिक निकाय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के उद्घाटन से ठीक पहले कहा था कि
देश कि देश की अर्थव्यवस्था दिसंबर 20128 में 6.6 फीसदी बढ़ी थी और ये पिछली
5 तिमाहियों में सबसे धीमी विकास दर है। 

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानि (फिक्की) ने कहा है कि बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि 
कमजोर अर्थव्यवस्था के चलते घरेलू खपत तेजी से नहीं बढ़ पा रही है। फिक्की ने एक 
बयान में कहा है कि "अर्थव्यवस्था में मंदी के हालिया संकेत न केवल निवेश और धीमे 
निर्यात में धीमी वृद्धि से बल्कि उपभोग की मांग में कमजोर वृद्धि से भी बने हैं।" ये एक
गंभीर चिंता का विषय है अगर इसका तत्काल समाधान नहीं निकाला गया तो इसके
नतीजे दीर्घकालिक हों सकते हैँ। 

नरेन्द्र मोदी गुरुवार को दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। मोदी ने
17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में 303 सीटों के साथ इतनी बड़ी जीत ऐसे वक्त में
हासिल की है, जब कृषि क्षेत्र की आर्थिक समस्याएं बनी हुई हैं,नौकरियों की कमी है और
अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।

 सुस्त पड़ी आर्थिक गति के माहौल में मोदी को एक ऐसे
वित्त मंत्री की आवश्यकता होगी जो अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों का दृढ़ता से
मुकाबला कर सके और आने वाले आर्थिक संकटों को नेविगेट करने में मदद कर सके।
अर्थव्यवस्था के बेपटरी होने के कुछ उदाहरण औद्योगिक उत्पादन और विनिर्माण में आई
गिरावट, कार और दोपहिया वाहनों की बिक्री में आई गिरावट एयरलाइन कंपनियों के बंद
होने और हवाई यात्रियों की संख्या में आई गिरावट के रूप में देखे जा सकते हैं। 

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